अमावस्या का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंमौन का महत्व मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन यदि व्यक्ति संकल्प लेकर पूरे विही-विधान से मौन व्रत रखेगा तो उसे उसके पापकर्मों से मुक्ति मिलेगी और मोक्ष की प्राप्ति होगी। यदि श्रद्धालु पूरा दिन मौन व्रत नहीं रख सकते तो स्नान और दान-पुण्य करने से पूर्व सवा घंटे तक का मौन व्रत जरूर रखें।
अमावस की रात में क्या क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंअमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए। प्रेत के शरीर की रचना में 25 प्रतिशत फिजिकल एटम और 75 प्रतिशत ईथरिक एटम होता है।
अमावस्या और पूर्णिमा में क्या अंतर है?
इसे सुनेंरोकेंहिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिनों के दो पक्ष में बांटा गया है, जो शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहलाते हैं। शुक्ल पक्ष (उजाला) के अंतिम दिन यानी 15वें दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष (काला) के अंतिम दिन को अमावस्या कहा जाता है।
अमावस्या कितने प्रकार का होता है?
इसे सुनेंरोकेंशास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं। सोमवती अमावस्या, भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है।
अमावस्या के दिन कौन सा कार्य करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंपुण्यदायिनी मौनी अमावस्या तिथि पर स्नान, दान और तर्पण का विशेष महत्व है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन स्नान करने के बाद दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है तथा घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। पुराने ग्रंथों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। इस दिन कुछ कार्य करना बेहद लाभदायक माना गया है।
अमावस को क्या नहीं करना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंप्रमुख अमावस्या : भौमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, दिवाली अमावस्या, सोमवती अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या। * इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। * इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।