गद्य शिक्षण के महत्व क्या है?

गद्य शिक्षण के महत्व क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दी शिक्षण में पद्य का महत्त्व निम्नलिखित है- बालकों को सस्वर बनाना, ताल लाना और संगीत से परिचय कराने में सहायता मिलती है। छात्र कविताओं के सौन्दर्य से भली-भाँति परिचित हो जाते हैं। कवियों की भाषा तथा विशेषताओं के सम्बन्ध में पता चल जाता है। छात्रों को रस, छन्द, अलंकार आदि का सूक्ष्मता से ज्ञान हो जाता है।

गद्य का उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगद्य का क्षेत्र बहुत ही विशाल है-नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबन्ध एवं कहानी आदि सभी इसके अन्तर्गत आते हैं। (1) विद्यार्थियों के सूक्ति भण्डार एवं शब्द भण्डार का विकास करना । (2) विद्यार्थियों के शब्द उच्चारण को शुद्ध करना। (3) विद्यार्थियों में प्राप्त ज्ञान को प्रकाशित करने की योग्यता को विकसित करना ।

गद्य की कितनी विधियां हैं?

इसे सुनेंरोकेंगद्य साहित्य की अनेक विधाएँ है- कहानी नाटक, उपन्यास निबन्ध, जीवनी, संस्मरण, आत्मचरित रिपोर्ताज व्यंग्य आदि।

गद्य की प्रमुख विधियाँ कौन कौन सी है बताइए?

गद्य शिक्षण की विधियां

  • अर्थबोध शिक्षण विधि (प्राथमिक स्तर पर प्रयुक्त)
  • प्रश्नोत्तर विधि (माध्यमिक स्तर पर प्रयुक्त)
  • प्रवचन विधि (उच्च कक्षाओं के लिए प्रयुक्त)

गद्य शिक्षण के उद्देश्य एवं विधियां क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगद्य शिक्षण के उद्देश्य:- [1]- व्याकरण सम्मत भाषा का प्रयोग करना। [2]- शब्दों का प्रभावशाली प्रयोग करना। [3]- शब्द भण्डार की वृद्धि करना। [4]- संक्षिप्त जीवनी लिखना सकना।

प्राथमिक कक्षा में गद्य शिक्षण का उद्देश्य क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंगद्य शिक्षण के उद्देश्य विराम चिन्हनों को ध्यान रखते हुए पढ़ने के योग्य बनाना। मौन वाचन करके अर्थ ग्रहण करने के योग्य बनाना। शुद्ध उच्चारण का ज्ञान प्रदान करना। छात्रों में भावाभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करना।

गद्य शिक्षण की कौन कौन सी विधियां है?

पद्य शिक्षण विधियां Part 1

  • कविता का प्रभावशाली सस्वर वाचन करना
  • कविता कंटेस्ट करके बच्चों को सुनाना
  • विभिन्न उत्सवों पर कविता पाठ का आयोजन करना ।
  • अंत्याक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन करवाना
  • किसी विषय विशेष पर कविता पाठ करवाना ।
  • कविता पाठ प्रतियोगिता का आयोजन करवाना।

गद्य की सर्वश्रेष्ठ विधि कौन सी है?

इसे सुनेंरोकेंअर्थ कथन विधि गद्य शिक्षण की यह एक परम्परागत विधि है। इस विधि में शिक्षक पहले गद्यांश का वाचन करता है फिर उसमें आए कठिन शब्दों का अर्थ बतलाता है तथा बाद में सभी वाक्यों का सरलार्थ बताते हए गद्यांश का अर्थ स्पष्ट कर देता है। इस विधि में सारा कार्य शिक्षक ही करता है तथा छात्र निष्क्रिय श्रोता बने रहते हैं।