लेखक अशोक को याद करने के लिए क्या कारण देता है?

लेखक अशोक को याद करने के लिए क्या कारण देता है?

इसे सुनेंरोकेंउत्तर- ‘ अशोक को जो सम्मान कालिदास से मिला , वह अपूर्व था ‘ पंक्ति का आशय यह है कि कालिदास ने अपने साहित्य में अशोक के को अत्यन्त सम्मान दिया । अशोक के फूल की मादकता का अनुभव करने की दृष्टि कालिदास के पास थी , ऐसा वर्णन अपूर्व ( पहले किसी ने नहीं किया ) था । आसिजनकारी तथा कर्णावतंस ।

आसीक के फूल से क्या आशय?

इसे सुनेंरोकेंमन रम गयो तो भरे भादों में भी निर्यात फूलता रहता है। जब उमस से प्राण उबलता रहता है और लू से हृदय सूखता रहता है, एकमात्र शिरीष कालजयी अवधूत की भाँति जीवन की अजेयता का मंत्र प्रचार करता रहता है।” इस प्रकार निबंधकार ने शिरीष के फूल के माध्यम से जीवन को हर हाल में जीने की प्रेरणा दी है।

लाखों करोड़ों की उपेक्षा से कौन समृद्ध हुई थी?

इसे सुनेंरोकेंअशोक का वृक्ष जितना भी मनोहर हो, जितना भी रहस्यमय हो जितना भी अलंकारमय हो, परन्तु है वह उस विशाल सामन्त-सभ्यता की परिष्कृत रुचि का ही प्रतीक, जो साधारण प्रजा के परिश्रमों पर पली थी, उसके रक्त के संसार कणों को खाकर बड़ी हुई थी और लाखों-करोड़ों की उपेक्षा से जो समृद्ध हुई थी।

अशोक के फूल कौन सी विद्या है?

इसे सुनेंरोकेंअशोक के फूल किस विधा की रचना है? अशोक के फूल (Ashok Ke Phool) की विधा का प्रकार “निबन्ध” (Nibandh) है।

अशोक फूल का क्या भाव है?

इसे सुनेंरोकेंअशोक के फिर फूल आ गए हैं। इन छोटे-छोटे, लाल-लाल पुष्पों के मनोहर स्तबकों में कैसा मोहन भाव है! बहुत सोच-समझकर कंदर्प देवता ने लाखों मनोहर पुष्पों को छोड़कर सिर्फ़ पाँच को ही अपने तूणीर में स्थान देने योग्य समझा था। एक यह अशोक ही है।

3 असीक के फूल से क्या आशय है?

इसे सुनेंरोकें” अशोक का फूल ” कविता में द्विवेदी जी ने अशोक के फूल का भारतीय परंपरा में महत्व बताया है। अशोक का फूल दो रंगों में पाया जाता है लाल पुष्प व श्वेत अथवा सफेद पुष्प। सफेद अशोक का फूल तांत्रिक क्रियाओं को सिद्ध करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। लाल अशोक का पुष्प स्मृति वर्धक मना जाता है।

अशोक के फूल कितने प्रकार के होते हैं नाम उल्लेख कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंअशोक के फिर फूल आ गए हैं। इन छोटे-छोटे, लाल-लाल पुष्पों के मनोहर स्तबकों में कैसा मोहन भाव है! बहुत सोच-समझकर कंदर्प देवता ने लाखों मनोहर पुष्पों को छोड़कर सिर्फ़ पाँच को ही अपने तूणीर में स्थान देने योग्य समझा था।