संगत से क्या अभिप्राय है?

संगत से क्या अभिप्राय है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी के साथ जुड़ा या मिला या लगा हुआ। इकट्ठा किया हुआ।

सज्जन व्यक्तियों की संगति को क्या कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंरहीम के दोहे में सज्जन व्यक्ति की तुलना मोतियों के हार से की गई हैय़ रहीम दास कहते हैं कि जिस तरह मोतियों का हार मूल्यवान और शोभा बढ़ाने वाला होता है, और लोगों को अति प्रिय होता है।

साखी शब्द बहुतक सुना मिटा न मन का मोह पारस तक पहुँचा नहीं रहा लोह का लोह कबीरदास?

इसे सुनेंरोकेंज्ञान से पूर्ण बहुतक साखी शब्द सुनकर भी यदि मन का अज्ञान नहीं मिटा, तो समझ लो पारस-पत्थर तक न पहुंचने से, लोहे का लोहा ही रह गया। सज्जन व्यक्ति किसी सज्जन व्यक्ति से मिलता है तो दो दो अच्छी बातें होती हैं। लकिन गधा गधा जो मिलते हैं, परस्पर दो दो लात खाते हैं ।

हमें कैसे व्यक्तियों की संगति करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: अच्छी व बुरी संगति का असर मनुष्य के जीवन पर पड़ता है: खनैता महंत मनुष्य को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी या बुरी संगति का असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। गलत लोगों की संगत करने पर कुछ समय के लिए तो सुख मिलता है लेकिन बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

सज्जन और दुर्जन व्यक्ति के स्वभाव में क्या अंतर होता है?

इसे सुनेंरोकेंगुरुदेव ने कहा- ‘चूंकि युधिष्ठिर सज्जनता के अवतार हैं अतः उन्हें सदा सर्वदा सज्जन ही नजर आते हैं। यहां तक कि दुर्जन में भी सज्जन के गुण दिखाई देते हैं। उसी कारण उन्हें कोई दुर्जन व्यक्ति नहीं मिला। दूसरी ओर दुर्योधन को कोई सज्जन पुरुष नजर नहीं आया, क्योंकि उनकी रुचि सज्जनता में जरा भी नहीं है।

जीवन में अच्छे मित्रों की संगति का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंजीवन में अच्छे मित्रो की संगति से हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है । अच्छी संगति में रहने से हमारा व्यवहार भी अच्छा हो जाता है । अच्छे मित्र हमे भी अच्छे काम करके के लिये प्रोत्साहित करने है । हमे ऐसे लोगो का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहीए।

बुरे लोगों की संगति में अच्छे लोग भी बुरे हो जाते हैं निम्नलिखित में से कौन सा कथन इसकी पुष्टि करता है *?

इसे सुनेंरोकेंतुलसीदास ने रामचरित मानस में लिखा है कि ‘सठ सुधरहि सत्संगति पाई’ अर्थात बुरे लोग भी अच्छे लोगों की संगति में आकर अच्छे बन जाते हैं। इसके विपरीत बुरे लोगों की संगति में पड़कर अच्छे भी बुरे बन जाते हैं।