शिक्षा को संस्कृत में क्या कहेंगे?
इसे सुनेंरोकेंBorrowed from Sanskrit शिक्षा (śikṣā), from the root verb शिक्ष् (śikṣ, “to learn, study”).
विद्यालय में संस्कृत शिक्षण का क्या स्थान है?
इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत विद्यालयों में कक्षा तीन से एक विषय के रूप में संस्कृत पढ़ाई जावेगी । (ii) उच्च – प्राथमिक स्तर – सामान्य विद्यालयों में तृतीय भाषा के रूप में सरल संस्कृत का शिक्षण होता है । संस्कृत विद्यालयों में संस्कृत का अध्ययन एक प्रमुख विषय के रूप में होता है ।
संस्कृत भाषा शिक्षण का प्रथम सोपान क्या है?
इसे सुनेंरोकेंवर्तनी लेखन करना, गद्यांश का शुद्ध वाचन करना, श्लोकों को कण्ठस्थ करना, व्याकरणिक तत्वों का ज्ञान प्राप्त करना सरल वाक्यों का भाव ग्रहण करते हुए संस्कृत भाषा में रसानुभूति कर सकना आदि ।
संस्कृत शिक्षण की सर्वोत्तम विधि कौन सी है?
संस्कृत शिक्षण की विधियां
- मॉण्टेसरी विधि-
- किण्डरगार्डन विधि-
- डाल्टन विधि-
- खेलविधि-
- प्रोजेक्ट विधि-
- मौखिक विधिः
- पारायण विधि:-
- वाद-विवाद विधि:-
संस्कृत शिक्षण का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंसंस्कृत भाषा का समृद्ध साहित्य :- भारत की चेतना , उसका रूप इसी वाणी में निहित है। संस्कृत केवल एक भाषा नहीं है एवं भारत में उसका अध्ययन केवल एक भाषा विशेष का ज्ञान प्राप्त करना नहीं है। ज्ञान को भारत देश में सर्वाधिक पवित्र रूप में स्वीकार किया गया है। संस्कृत के अध्ययन से हमें आत्मबोध होता है।
संस्कृत क्यों पढ़ना चाहिए?
इसे सुनेंरोकेंयदि संस्कृत को सभी प्रान्तों में अध्ययन के लिए अनिवार्य भाषा बनाया होता और अंग्रेजी इतना परिश्रम संस्कृत सीखने पर किया होता तो भारत के सभी लोग आपस में जुड़ जाते और क्षेत्रीय भाषाओं को समझ पाते। बिना संस्कृत जाने आप भारतीय भाषाओं का पूरी तरह से आस्वाद नहीं उठा सकते। उदाहरण के रुप में ‘वन्दे मातरम्’ इस गान को लिया जाए।
संस्कृत भाषा शिक्षण की उत्तम विधि कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंपाठ्यपुस्तक विधि- उसके पाठों का मातृभाषा में अनुवाद किया जाता है। इसके पुस्तकों का मुख्योद्देश्य छात्रों का स्वयं ही अध्ययन करके सरल संस्कृत ज्ञान प्राप्त करना है । सम्पूर्ण अध्ययन का केन्द्रबिन्दु पाठ्यपुस्तक होती है। शिक्षण सूत्रो का अनुसरण पूर्ण रूप से किया जाता है अतः यह विधि मनोवैज्ञानिक है।