पोशाक का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

पोशाक का हमारे जीवन में क्या महत्व है?

इसे सुनेंरोकेंपोशाक का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। पोशाक मात्र शरीर को ढकने के लिए नहीं होती है बल्कि यह मौसम की मार से बचाती है। पोशाक से मनुष्य की हैसियत, पद तथा समाज में उसके स्थान का पता चलता है। पोशाक मनुष्य के व्यक्तित्व को निखारती है।

लेखक ने अपनी माँ के विषय में क्या बताया है?

इसे सुनेंरोकें(1) उनके परिवार में केवल उनकी माँ को ही हिंदी आती थी। (2) वे पूजा-पाठ भी बहुत करती थीं। (3) उनकी माँ को थोड़ी संस्कृत भी आती थी। (4) “गीता” में उन्हें विशेष रुचि थी।

लेखक के साथी का क्या नाम था?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखक के मित्र सुमति की यहाँ के लोगों से जान-पहचान होने के कारण भिखमंगों के वेश में रहने के बावजूद भी उन्हें ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली। जबकि दूसरी यात्रा के समय जानकारी न होने के कारण भद्र यात्री के वेश में आने पर भी उन्हें रहने के लिए उचित स्थान नहीं मिला।

लेखक को आयु कितनी है?

इसे सुनेंरोकें(क) लेखक की आयु कितनी है? उत्तर : लेखक की आयु पैंतीस वर्ष की है ।

2 पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

इसे सुनेंरोकेंपोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।

लेखिका अपनी मां को क्या कहा करती थी?

इसे सुनेंरोकेंवह मीरा के पद गाती थी। प्रभाती के रूप में वे सवेरे ‘जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थी। कुल मिलाकर वह एक धार्मिक महिला थी।

लेखक कैसे बीमार पड़ा?

इसे सुनेंरोकें(क) लेखक बीमार कैसे पड़ा? उत्तर: एक दिन उन्होंने हॉकी खेलते वक्त रिफ्रेशमेण्ट ज्यादा खा लिया था। ऊपर से घर जाकर बारह पूरियांँ खाई और साथ ही साथ प्रसाद जी के यहांँ से आए छह बाग बाजार का रसगुल्ला भी खाया। जिसके कारण लेखक बीमार पड़ गए।

क लेखक बीमार कैसे पड़ा?

इसे सुनेंरोकेंउत्तरः लेखक को ओझा से दिखाने की सलाह एक सज्जन ने दिय़ा । (क) लेखक बीमार कैसे पड़ा? उत्तरः स्कूल में मिठाई खाकर आए हुए लेखक को भूक न होने पर भी पत्नी के सिनेमा देखने के कारण देर न करके बारह पूरिय़ाँ और रोजवाली आधा पाव मलाई खाई ।