आंसू लहर किसकी रचना है?
इसे सुनेंरोकेंजयशंकर प्रसाद – कामायनी, आंसू, लहर: Jaishankar Prasad – Kamayani, Aansu, Lahar (Jaishankar Prasad Poetry Book 5) (Hindi Edition) किंडल संस्करण
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी हैं?
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं
- काव्य:- चित्राधार, कानन-कुसुम, करूणालय, महाराणा का महत्व, प्रेम-पथिक, झरना आँसू, लहर, कामायनी और प्रसाद-संगीत।
- नाटक:- प्रायश्चित्त, सज्जन, कल्याणी-परिणय, अजात-शत्रु, विशाख, जनमेजय का नागयज्ञ, कामना, स्कन्दगुप्त, एक-घूँट, ध्रुवस्वामिनी।
- उपन्यास:- कंकाल, तितली, इरावती।
आँसू काव्य में प्रधान रस कौन सा है?
इसे सुनेंरोकेंजयशंकर प्रसाद एक महान छायावादी युग के कवि तो थे ही साथ ही वह एक भावुक कवि भी थी। जिसकी भावुकता आप आँसू में देख सकते है. उन्हें ये एहसास था की लक्ष्य प्राप्ति के लिए संघर्ष पीड़ा, वेदना कई प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है। वही सब जयशंकर प्रसाद ने कविता आँसू के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।
जयशंकर प्रसाद की कौन सी रचना हिंदी का मेघदूत कहलाती है और क्यों?
जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘झरना’ (1918) को छायावाद की प्रथम रचना माना जाता है।…
जन्म | सन् 1889 ई. |
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निधन | सन् 1936 ई. |
माता | मुन्नी देवी |
पिता | बाबू देवी प्रसाद |
उपनाम | झारखंडी, खांडे राव , कलाधर |
आंसू कौन सी विधा है?
इसे सुनेंरोकेंआँसू जयशंकर प्रसाद लिखित प्रदीर्घ गीतात्मक काव्य है, जिसका प्रकाशन १९२५ ई॰ में साहित्य सदन, चिरगाँव (झाँसी) से हुआ था।
आशु कवित्व क्या है?
इसे सुनेंरोकेंआशु-कवि Meaning in Hindi – आशु-कवि का मतलब हिंदी में वह कवि जो किसी दिए हुए विषय पर अथवा किसी विशेष स्थिति में तत्काल कविता की रचना करता हो।
छायावादी युग के लेखक कौन कौन है?
इसे सुनेंरोकेंजयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा, पंडित माखन लाल चतुर्वेदी इस काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। छायावाद नामकरण का श्रेय मुकुटधर पाण्डेय को जाता है।
आंसू को हिंदी का मेघदूत क्यों कहा जाता है?
आँसू जयशंकर प्रसाद की एक विशिष्ट रचना है। इसका प्रथम संस्करण 1925 ई. में साहित्य – सदन, चिरगाँव, झाँसी से प्रकाशित हुआ था।…संबंधित लेख
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नाटक | अजातशत्रु नाटक · चन्द्रगुप्त · ध्रुवस्वामिनी · स्कन्दगुप्त · एक घूँट · विशाख |
निबन्ध | काव्य और कला |
अन्य | आँसू · कानन कुसुम |
जयशंकर प्रसाद को प्रेम और सौंदर्य का कवि क्यों कहा जाता है?
इसे सुनेंरोकेंप्रेम और सौंदर्य का वर्णन – प्रसाद जी की काव्य का मुख्य तत्व प्रेम और सौन्दर्य की अनुभूति है । प्रेम अनुभूति की दिशा मानव, प्रकृति तथा ईश्वर तक फैली हुई है । इसी कारण से प्रसाद जी ने मानव, प्रकृति और ईश्वर तीनों के सौंदर्य का आकर्षक चित्रण किया है। उनकी सौंदर्य चेतना परिष्कृत, उदात्त एवं सूक्ष्म है।