बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की?

इसे सुनेंरोकें2.1 बीमार बच्ची ने क्या इच्छा प्रकट की? उत्तर:- बीमार बच्ची जो कि तेज ज्वर से ग्रसित थी। उसने अपने पिता के सामने देवी के चरणों का फूल-रूपी प्रसाद पाने की इच्छा प्रकट की। इस इच्छा का कारण संभवत यह था कि उसे लगा कि देवी का प्रसाद पाकर वह ठीक हो जाएगी।

देश की जागृति के लिए कवि क्या प्रार्थना करता है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि वे विपत्ति का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करें। निर्भयता का वरदान दें ताकि वह संघर्षों से विचलित न हो। वह अपने लिए सहायक नहीं आत्मबल और पुरुषार्थ चाहता है। सांत्वना-दिलासा नहीं बहादुरी चाहता है।

कवि का ब्रज के वन बाग और तालाब निहारने के पीछे क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंकवि का ब्रज के वन, बाग और तालाब को निहारने के पीछे क्या कारण हैं? उत्तर: कवि ब्रजभूमि के वन, बाग और सरोवर इसलिए निहारना चाहता है क्योंकि इनके साथ कृष्ण की यादें जुड़ी हुई हैं। कभी कृष्ण इन्हीं में विहार किया करते थे।

कवि श्रीकृष्ण की लकुटी और कम्बल पर कौन सा राज्य न्यौछावर करना चाहते हैं *?

इसे सुनेंरोकेंतीनों लोकों का राज्य कवि अपने आराध्य देव श्रीकृष्ण की लकुटी (लाठी) और कामरी पर न्यौछावर करना चाहता है। यह इसलिए कि उसे अपने इष्टदेव श्रीकृष्ण की लकुटी और कामरिया (कामरी) के सामने तीनों लोकों का सुख तुच्छ लगता है। प्रश्न 4.

कवि ऋतुराज से क्या प्रार्थना कर रहा है?

इसे सुनेंरोकेंकवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। वह प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे आत्मिक शक्ति प्रदान करें। वह भले ही उसकी सहायता न करें परंतु उसकी आत्मविश्वास को हमेशा बनाए रखें।

कवि भारतमाता से क्या प्रार्थना करता है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कवि भारतमाता से जग का रूप बदलने की प्रार्थना करते है।

चौथे सवैये के अनुसार गोपियाँ अपने आप को क्यों विवश पाती हैं?

इसे सुनेंरोकेंचौथे सवैये के अनुसार कृष्ण का रूप अत्यंत मोहक है तथा उनकी मुरली की धुन बड़ी मादक है। उनकी मरली की धुन तथा मुस्कान इतनी आकर्षक है कि इन दोनों से गोपियो के लिए बच पाना काफ़ी मुश्किल है। गोपियाँ कृष्ण की सुन्दरता तथा तान पर आसक्त हैं इसलिए वे कृष्ण के समक्ष विवश हो जाती हैं।

श्री कृष्ण की मुस्कान का गोपियों पर क्या असर होता है?

इसे सुनेंरोकेंगोपी को श्रीकृष्ण की मुस्कान इतनी सुंदर लगती है कि इसे देखकर वह अपना होश-हवास खोकर विवश हो जाती है और स्वयं को सँभाल नहीं पाती है। वह श्रीकृष्ण के प्रति पूर्णतया समर्पित हो जाती है। गोपी को महसूस होता है कि उसके और कृष्ण के बीच मुरली ही बाधक है। इस मुरली के कारण ही वह कृष्ण को सामीप्य पाने से वंचित रह जाती है।