प्रयोजनमूलक हिंदी के कितने मूल उद्देश्य माने जाते है?
इसे सुनेंरोकेंजिस भाषा का प्रयोग किसी विशेष प्रयोजन के लिए किया जाए, उसे ‘प्रयोजनमूलक भाषा’ कहा जाता है। यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि प्रयोजन के अनुसार शब्द-चयन, वाक्य-गठन और भाषा-प्रयोग बदलता रहता है। व्यावहारिक हिन्दी, कामकाजी हिन्दी, प्रयोजनी हिन्दी, प्रयोजनपरक हिन्दी, प्रायोगिक हिन्दी, प्रयोगपरक हिन्दी ।
प्रयोजनमूलक हिंदी से आप क्या समझते हैं समझाइए एवं इसके रूपों पर प्रकाश डालिए?
इसे सुनेंरोकेंकार्य-कारण भाव से युक्त विशिष्ट ज्ञान पर आश्रित प्रवृत्ति को वैज्ञानिक कहा जाता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी सम्बन्धित विषय-वस्तु को विशिष्ट तर्क एवं कार्य-कारण सम्बन्धों पर आश्रित नियमों के अनुसार विश्लेषित करती है। विज्ञान की भाषा तथा शब्दावली के अनुसार ही इसकी शब्दावली में स्पष्टता, तटस्थता तथा तार्किकता पायी जाती है ।
डॉ दिलीप सिंह ने प्रयोजन मूलक हिंदी को कितने वर्गों में विभाजित किया है?
इसे सुनेंरोकेंवार्ता – क्षेत्र एवं वार्ता प्रकार के आधार पर वार्ता – शैली निर्धारित होती है। कह सकते हैं कि प्रयोजनमूलक भाषा की प्रयोजनमूलक शैलियों को ही प्रयुक्ति कहा जाता है। (दिलीप सिंह ) विषय से बँधकर भाषा जिन भेदों को जन्म देती है, वह भेद ही प्रयुक्ति है। विशिष्ट विषय परक प्रयोग ही भाषा की प्रयोजनमूलकता का आधार है।
निम्न में से कौन सा घटक प्रयोजनमूलक हिंदी के अंतर्गत आता है?
इसे सुनेंरोकेंसाहित्यिक हिन्दी -प्रयोजनमूलक हिन्दी के इस क्षेत्र के अन्तर्गत कविता, नाटक, उपन्यास, कहानी जैसी विधाओं की भाषा आती हैं। 8. प्रशासनिक हिन्दी -प्रयोजनमूलक हिन्दी के इस क्षेत्र के अन्तर्गत प्रशासनिक कार्यों में प्रयुक्त भाषा एवं उसकी पारिभाषिक शब्दावली का अध्ययन किया जाता है।
प्रयोजनमूलक हिंदी का उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंप्रयोजनमूलक हिन्दी के उद्देश्य- 1. सुयोग्य तथा परिपूर्ण दुभाषियों को तैयार करना जो शासन संचालन तथा समाज की सेवा कर सकें। 2. विभिन्न भाषाओं के मध्य सम्पर्क सेतु का कार्य करना।
प्रयोजनमूलक हिंदी के उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंप्रयोजनमूलक हिंदी के विभिन्न उद्देश्य- हिंदी की व्यावहारिक उपयोगिता से परिचित कराना। स्वयं रोजगार उपलब्ध कराने में युवकों की मदद करना। विविध सेवा-क्षेत्रों में युवक-युवतियों को सेवा के अवसर उपलब्ध करा देना।
प्रयोजनमूलक हिंदी के विविध रूपों का अधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसौन्दर्यपरक आयाम में भाषा सर्जनात्मक होती है जिसका विकास साहित्य की भाषा के रूप में होता है, जबकि प्रयोजनपरक आयाम का सम्बन्ध सामाजिक आवश्यकताओं और जीवन की उस व्यवस्था से होता है जो व्यक्तिपरक होकर भी समाज सापेक्ष होता है। प्रयोजनमूलक हिन्दी के विविध रूपों का आधार उनका प्रयोग क्षेत्र होता है।