झांसी की रानी प्रसिद्ध कविता के रचनाकार कौन है?
इसे सुनेंरोकेंसिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी की रचयिता सुभद्रा कुमारी चौहान की जयंती पर उनकी सर्वकालिक महानतम कविता ‘झांसी की रानी’ और आखिरी कविता ‘प्रभु तुम मेरे मन की जानो’
झांसी की रानी कविता की मूल संवेदना क्या है?
इसे सुनेंरोकेंकविता तत्कालीन बुंदेली लोकगीत को आधार बना कर लिखी गयी थी और इसे भारतीय राष्ट्रवाद की हिंदी साहित्य में सबल अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है। इसे कवयित्री द्वारा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।
क्या खूब लड़ी मर्दानी?
इसे सुनेंरोकेंखूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसीवाली रानी थी।। लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध, व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना, ये थे उसके प्रिय खिलवार, महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी।
सुभद्रा के अमर कविता कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर-4. सुभद्रा की अमर कविता “खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी” है ।
झांसी की रानी कविता से क्या संदेश दिया गया है?
इसे सुनेंरोकेंझांसी की रानी कविता से ये संदेश दिया गया है कि अंग्रेजों की गुलामी से देश को आजादी दिलाने में अनेक देशभक्त वीर एवं वीरांगनाएं शहीद हुई॥ आजादी के प्रथम युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई ने देशवासियों में तयाग बलिदान की जो भावना जगाई हमें उसका सम्मान करना चाहिए और देश की स्वतंत्रता की खातिर बड़ा से बड़ा त्याग करना चाहिए।
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी इन पंक्तियों में कौन सा रस है?
इसे सुनेंरोकें”बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ” प्रस्तुत पंक्तियों में कौन सा रस है? वीर रस की कविता है, इसी कविता ने सुभद्रा कुमारी चौहान को अमर कर दिया।
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी में कौन सा रस निहित है 😕
इसे सुनेंरोकेंअतः सही विकल्प 2 ‘वीर रस’ है। इन पंक्तियों में वीर रस है, कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने झाँसी की रानी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध का वर्णन किया है।