अट से क्या अभिप्राय है Class 10?
इसे सुनेंरोकेंअट नहीं रही है’ का अर्थ है – समा नहीं रही है। कवि बताना चाहता है कि फागुन में वसंत की सुंदरता चारों ओर फैली है जहाँ देखो वहाँ सौंदर्य ही सौंदर्य है। ऐसा लगता है कि फागुन में ‘वसंत की सुंदरता धरती पर समा नहीं रही है।
अट नहीं रही है इसका क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: अट नहीं रही है सट नहीं रही है। इस कविता में कवि ने वसंत ऋतु की सुंदरता का बखान किया है। कवि उस सौंदर्य से अपनी आँखें हटाना चाहता है लेकिन उसकी आँखें हट नहीं रही हैं।
उन्मन से क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकें(हठयोग) मन की वह अवस्था जो उसकी उन्मनी मुद्रा के साधन के समय प्राप्त होती है। अनमना; अन्यमनस्क; उद्विग्न। पुं.
आँख हटाता रही है से कवि का क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंकवि उस सौंदर्य से अपनी आँखें हटाना चाहता है लेकिन उसकी आँखें हट नहीं रही हैं। पट नहीं रही है। पेड़ों पर नए पत्ते निकल आए हैं, जो कई रंगों के हैं। कहीं-कहीं पर कुछ पेड़ों के गले में लगता है कि भीनी-भीनी खुशबू देने वाले फूलों की माला लटकी हुई है।
अट नही रही है कविता में कौनसा अलंकार है?
इसे सुनेंरोकेंकवि उस समय की कल्पना करते हुए कहते हैं कि ऐसा लग रहा हैं मानो प्रकृति ने अपने गले में रंग बिरंगी भीनी खुशबू देने वाली सुंदर सी माला पहन रखी हो। कवि के अनुसार प्रकृति के कण कण में इतनी सुंदरता बिखरी पड़ी है कि अब वह धरा में समा नहीं पा रही है। यहाँ भी मानवीकरण किया गया हैं।
अट नहीं रही है कविता का क्या संदेश है?
इसे सुनेंरोकेंExplanation:इस कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि जिस प्रकार बसंत ऋतु के आगमन से सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है उसी प्रकार हमें भी अपने श्रेष्ठ कार्यों से समाज, राष्ट्र व विश्व कि आभामय बनाना चाहिए। ऐसे कार्य करने चाहिए कि सभी हमारा यशगान करें।
अट नही रही है कविता में प्रकृति की क्या विशेषताएँ बताई गयी है?
इसे सुनेंरोकेंकवि तो प्रकृति के सौंदर्य से इतना प्रभावित है कि वह प्रकृति के दर्शन से तृप्त भी नहीं हो पा रहा है। फागुन का इतना प्रभाव है कि सर्वत्र उल्लास और उत्साह दिखाई देता है। | प्रफुल्लता-ही-प्रफुल्लता दिखाई देती है। फागुन की इतनी अतिशय शोभा है कि कहीं भी समा नहीं रही है।