कहाँ कहाँ बिखरे हुए हैं कवि ने उसकी उपमा किससे की है?

कहाँ कहाँ बिखरे हुए हैं कवि ने उसकी उपमा किससे की है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: (क) कविता में ओस को रतन कहा गया है। यह हरी घास, पत्तों और फूलों पर बिखरे हुए हैं। (ख) ओस कणों को देखकर कवि का मन कर रहा है कि वह अंजलि भर कर इन्हें ले आए और इनको देख-देख कर एक कविता लिखे।

ओस की कणो को देख कर कवि का मन क्या करना चाहता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रश्न 2: ओस कणों को देखकर कवि का मन क्या करना चाहता है? उत्तर: ओस कणों को देखकर कवि उन्हें अपनी अंजली में भरकर घर ले जाना चाहता है ताकि उन्हें निहारते हुए उनपर एक सुंदर सी कविता लिख सके।

ओस के फूल क्या है?

इसे सुनेंरोकेंरात में यह ठंडा होकर गिरता है और बूँदों के रूप में हरे घास, पत्ते और फूलों पर रुक जाती है। यहाँ यह जल्दी से सूखती नहीं है। इसलिए यह हमें धूप निकलने से पहले दिखाई देती है और धूप निकलते ही फिर से भाप बनकर उड़ जाती है। (ख) ओस, कोहरा व वर्षा तीनों ही तेज़ गर्मी में पानी से भाप बनकर उड़ जाते हैं।

गंभीर रूप से बीमार लेखिका को कहाँ ले जाने की सलाह दी गई?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: लेखिका गिलहरी के घायल बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आई उसका घाव रुई से पोंछा उस पर पेंसिलिन दवा लगाई फिर उसके मुँह में दूध डालने की कोशिश की परन्तु उसका मुँह खुल नहीं सका। कई घंटे के उपचार के बाद उसने एक बूँद पानी पिया। तीन दिन के बाद उसने आँखे खोली और धीरे-धीरे स्वस्थ हुआ।

जुगनू से जगमग जगमग कौन चमकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंजुगनू से जगमग जगमग ये कौन चमकते हैं यों चमचम? नभ के नन्हें तारों से ये । कौन दमकते हैं यों दमदम? लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खज़ाना?

हरी घास पर मोती से क्या चमकते है?

इसे सुनेंरोकेंकवि कहते हैं कि जाड़े के मौसम में ये बूंदे हरे मैदान पर ऐसी लगती हैं मानो किसी ने मोती की लड़ियाँ बिछा दी हो। ओस की बूंदों को रत्न कहा है क्योंकि वह पत्तों और फूलों पर चमकती इठलाती रहती है, जैसे किसी जौहरी ने अपना खजाना लुटा दिया हो। ओस की यह बूंदें हरी घास के साथ-साथ सभी जगह बिखरी हुई हैं।

लुटा गया है कौन जौहरी?

इसे सुनेंरोकेंजुगनू से जगमग जगमग ये कौन चमकते हैं यों चमचम? नभ के नन्हें तारों से ये कौन दमकते हैं यों दमदम? लुटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खज़ाना? पत्तों पर, फूलों पर, पग पग बिखरे हुए रतन हैं नाना।

लूटा गया है कौन जौहरी?

इसे सुनेंरोकेंलूटा गया है कौन जौहरी अपने घर का भरा खजाना? पत्तों पर, फूलों पर पग-पग बिखरे हुए रतन है नाना।