पिता सुखिया को कहाँ जाने से रोका था और क्यों?
इसे सुनेंरोकेंपिता सुखिया को कहाँ जाने से रोकता था और क्यों? पिता सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करता था क्योंकि उसकी बस्ती में महामारी अपने प्रचंड रूप में हाहाकार मचा रही थी। इस महामारी की चपेट में कई बच्चे आ चुके थे। सुखिया अपनी बच्ची से बहुत प्यार करता था।
एक फूल की चाह कविता से क्या प्रेरणा?
इसे सुनेंरोकेंएक फूल की चाह – सियारामशरण गुप्त इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? यह कविता पढ़कर हमें यह प्रेरणा मिलती है कि सभी प्राणियों को एक समान मानना चाहिए। जन्म को आधार मानकर किसी को अछूत कहना निन्दनीय अपराध हैं।
मन्दिर में सुखिया के पिता के साथ कौन सी घटना हुई एक फूल की चाह कविता के आधार पर लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंAnswer. Explanation: न्यायालय द्वारा सुखिया के पिता को इसलिए दंडित किया गया, क्योंकि वह अछूत होकर भी देवी के मंदिर में प्रवेश कर गया था। मंदिर को अपवित्र तथा देवी का अपमान करने के कारण सुखिया के पिता को न्यायालय ने सात दिन के कारावास का दंड देकर दंडित किया।
सुखिया के पिता को समय बताने का पता क्यों नहीं चला?
इसे सुनेंरोकेंबेटी के लिए हो रही चिन्ता के कारण सुखिया के पिता को दिन-रात होने का पता नहीं चल रहा था। सुखिया को उनके गाँव में फैल रही महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। वह बीमारी के कारण दिन-भर-दिन क्षीण हो रही थी। उसने अपने पिता से देवी का प्रसाद लाने का आग्रह किया।
सुखिया के पिता को तारे कैसे लग रहे थे?
इसे सुनेंरोकें✎… सुखिया के पिता को आकाश के तारे जलते हुए अंगारों की भांति जलते हुए लग रहे थे। सियाराम शरण गुप्त द्वारा रचित ‘एक फूल की चाह’ नामक कविता में सुखिया नाम की एक छोटी सी बालिका तथा उसके पिता की मनोपस्थिति का वर्णन किया है।
सुखिया के पिता को लोग पापी क्यों कह रहे थे?
इसे सुनेंरोकें(B) अछूत होने के कारण
एक फूल की चाह कविता के रचयिता कौन हैं कवि ने इस कविता के माध्यम से किस सामाजिक समस्या को उठाया है?
इसे सुनेंरोकेंएक फूल की चाह’ सियारामशरण गुप्त जी की एक कथात्मक कविता है। इस कविता में कवि ने तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआ-छूत की भावना के बारे में बताया है। कवि की पुत्री रमा का देहांत असमय ही हो गया और इस घटना ने उन्हें बहुत हद तक दु:ख वेदना और करुणा का कवि बना दिया।
महामारी से सुखिया पर क्या प्रभाव पड़ा इससे उसके पिता की दशा कैसी हो गई?
इसे सुनेंरोकेंवह भयभीत हो गई और देवी के प्रसाद का एक फूल पाने में अपना कल्याण समझने लगी। उसके बोलने की शक्ति कम होती जा रही थी। धीरे-धीरे उसके अंग शक्तिहीन हो गए। उसकी यह दशा देखकर सुखिया का पिता चिंतित हो उठा।