नेत्र दोष कितने होते हैं?

नेत्र दोष कितने होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकुछ विशेष परिस्थितियों में नेत्र धीरे-धीरे अपनी समंजन क्षमता खो देते हैं, नेत्र में अपवर्तन संबंधी विकार होने से दृष्टिदोष उत्पन्न होते हैं। मुख्य रूप से तीन दृष्टिदोष होते हैं- (1) निकट दृष्टिदोष, (2) दूर दृष्टिदोष, (3) जरा-दृष्टिदोष.

दृष्टि दोष क्या है इसके कारण और निवारण को लिखे?

इसे सुनेंरोकें(1) नेत्र गोलक का छोटा हो जाना। (2) अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना। दूर-दृष्टि दोष को दूर करना-इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है। इस लेंस के प्रयोग से निकट बिंदु से आने वाली प्रकाश किरणें किसी दूर के बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं तथा निकट पड़ी वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देने लगती हैं।

दृष्टि दोष के क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंयह दोष अधिकांशतः वृद्ध होने या अधिक आयु (जैसे चालीस के ऊपर ) के लोगों को होता है। काम आयु के लोगों में यह बहुत कम पाया जाता है। आँखों के अभिनेत्र लेंस के फोकस दूरी के अधिक हो जाने के कारण यह दोष उत्पन्न होता है। पूरी कोशिश करने पर भी आँखे इस फोकस दूरी को कम नहीं कर पातीं।

अबिंदुकता दोष क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस दोष से पीड़ित व्यक्ति एक साथ तार गेज की क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर दोनों रेखाओं पर ध्यान केंद्रित नहीं कर सकता है। यह दोष इस तथ्य के कारण उत्पन्न होता है कि कॉर्निया पूरी तरह से गोलाकार नहीं है और क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर वस्तुओं के लिए इसकी वक्रता अलग-अलग है। बेलनाकार लेंस का उपयोग करके इस दोष को ठीक किया जा सकता है।

आंख में कितनी परत होती है?

इसे सुनेंरोकेंमानव नेत्र जो एक खोखले गोले के समान होता है तीन परतों का बना होता है, जो निम्न प्रकार है। नेत्र जिन तीन परतों से बना है उनमें सबसे बाहरी अपारदर्षी एवं दृढ परत दृढ पटल कहलाती है, इस परत का कार्य नेत्र के अन्दर के कोमल भागों की सुरक्षा करना होता है।

दृष्टि दोष क्या है तथा यह कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंदृष्टिदोष के कारण अनेक हो सकते हैं, लेकिन कुछ कारण व्यापक हैं, अत: उनका विवेचन आवश्यक है। मोटे तौर पर दृष्टिदोष के कारणों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : (१) क्रमिक उद्भव (gradual onset) के दृष्टिदोष और (२) अचानक उद्भव (sudden onset) के दृष्टिदोष।

दीर्घ दृष्टि दोष होने का क्या कारण है?

इसे सुनेंरोकेंदीर्घ दृष्टि दोष के कारण – . (i) अभिनेत्र लेंस की फ़ोकस दूरी का अत्यधिक हो जाना। (ii) नेत्र गोलक का छोटा हो जाना। संशोधन (निवारण)- इस दोष को दूर करने के लिए उत्तल लेंस के चश्में का उपयोग किया जाता है।