दलहनी फसलों में राइजोबियम कल्चर का उपयोग कैसे करते है?
इसे सुनेंरोकेंराइजोबियम कल्चर की प्रयोग विधि इसमें 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर (rhizobium culture in hindi) (एक पैकिट) को 25 किग्रा. बीज पर डालकर मिला लेते हैं । तत्पश्चात् इस बीज को छाया में सुखाकर बुवाई करते हैं । अत: दलहन वर्ग की फसल पहली बार बोने पर राइजोबियम कल्चर का प्रयोग आवश्यक होता है ।
दलहनी पौधों की मूल ग्रंथियों में कौन सा जीवाणु पाया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंइनमें से कोई नहीं। राइजोबियम लेग्यूमिनोसेरम।
फसलों की खेती में दलहनी फसलों का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर – दलहनी फसलों में नाइट्रोजन पोषक तत्व की मांग अन्य फसलों की तुलना में बहुत कम होती है। दलहनी फसलों के पौधों की जड़ों की गांठों में राइजोबियम जीवाणु पाए जाते हैं, जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त करवाते हैं। इससे मृदा की उर्वरता शक्ति में वृद्धि होती है।
जैव उर्वरक कितने प्रकार के होते हैं?
जैव उर्वरक (bio fertilizer in hindi) निम्नलखित प्रकार के होते है –
- माइक्रोफॉस जैव उर्वरक (Microfoss bio fertilizer)
- एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक (Azotobacter Bio Fertilizer)
- राइजोबियम जैव उर्वरक (Rhizobium bio fertilizer)
- नील हरित शैवाल जैव उर्वरक (Indigo Green Algae Bio Fertilizer)
चने के पौधों की जड़ों में कौन सा जीवाणु रहता है?
इसे सुनेंरोकेंकल्चर जिस फसल का हो उसका प्रयोग उसी फसल के बीज के लिए करें। सभी दलहनी, चारे एवं तेलहनी फसलों का कल्चर अलग – अलग होता है। सभी दलहनी फसलों की जड़ों में गुलाबी रंग की छोटी-छोटी गाठें होती हैं जिसमें राइजोबियम जीवाणु रहते हैं। ये जीवाणु हवा से नेत्रजन, अघुलनशील गैस लेकर पौधों को पोषक तत्व (अमोनिया) रूप में प्रदान करते हैं।
दलहनी फसलों का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंऐसी फसलें जिनके उत्पादन से मुख्य रूप से दाल प्राप्त होती है, उन्हें दलहनी फसलें कहते है । उदाहरण – उड़द, अरहर एवं मसूर आदि । दलहनी फसलें से मुख्यत: दाल की प्राप्ति एवं इसकी हरी पत्तियों को सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है । दलहनी फसलों में नाइट्रोजन स्थिरीकरण का गुण होने के कारण वे मृदा उर्वरता को भी बढ़ती है ।