नैतिकता का सिद्धांत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार, नैतिकता एक दार्शनिक अवधारणा है जिसमें सही और गलत की अवधारणाओं को व्यवस्थित करना, बचाव करना और अनुशंसा करना शामिल है। यह जरूरी है कि मनुष्यों के नैतिक व्यवहार को शामिल किया जाए। नैतिकता अच्छे और बुरे, सही और गलत, गुण और उपाध्यक्ष और अन्याय की चिंताओं से संबंधित है।
नैतिक मूल्य से आप क्या समझते हैं इसे स्पष्ट करते हुए राष्ट्रीय विकास में शिक्षा के योगदान का उल्लेख कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंनैतिक शिक्षा को धार्मिक शिक्षा से पृथक नहीं किया जा सकता है। नैतिक शिक्षा को चारित्रिक विकास के रूप में देखते हैं। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि नैतिक शिक्षा उपयुक्त आचरण तथा आदतों के विकास से संबंधित है। बालक का नैतिक विकास सामाजिक जीवन की स्वाभाविक देन है अतः नैतिक विकास सामाजिक विकास से अलग कोई वस्तु नहीं है।
सार्वजनिक जीवन के आधारभूत सिद्धांत क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसार्वजनिक नैतिकता (Public Morality) किसी राजनीतिक समुदाय में नागरिकों को न तो भावनाओं से और न ही स्वार्थ से बाध्य होना चाहिये, बल्कि उन्हें सार्वजनिक कारण से खोजे गए सामान्य मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिये।
नीति शास्त्र के लेखक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंप्लेटो, अरस्तू और टॉमस एक्विनस सद्गुण नीतिशास्त्र के प्रमुख समर्थक हैं. प्लेटो ने चार सर्वप्रमुख सद्गुणों, यथा – विवेक, न्याय, संयम एवं सहनशक्ति का विचार दिया. उसके शिष्य अरस्तू ने सद्गुणों को नैतिक तथा बौद्धिक दो श्रेणियों में बाँटा. उसने बुद्धिमानी जैसे कुछ नैतिक सद्गुणों को भी परिभाषित किया
नैतिक सिद्धांतों और विनियमों की अनदेखी के संभावित परिणाम क्या हैं?
इसे सुनेंरोकेंनीतिशास्त्र के निर्धारक और परिणाम (Ethics determinants and consequences) नीतिशास्त्र के निर्धारक प्रायः नैतिक प्रत्यय हैं। ये नैतिक प्रत्यय उचित-अनुचित,सही-गलत, अच्छा-बुरा एवं शुम-अशुभ हैं। ये सभी नेतिक प्रत्यय वास्तव में अंततः शुभ-अशुभ पर आधारित हैं
लॉरेंस कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत क्या सो जाता है?
इसे सुनेंरोकेंरूढ़िगत चिन्तन 10 से 13 वर्ष यह कोलबर्ग के नैतिक विकास के सिद्धांतों की दूसरी अवस्था है। इस अवस्था में लोग एक पूर्व आधारित सोच से चीजों को देखते हैं। इस स्थिति में लोग विश्वास, दूसरों का ख्याल रखना, दूसरों के निष्पक्ष व्यवहार को अपने नैतिक व्यवहार का आधार मानते हैं।
नैतिक मूल्य से क्या आशय है किन्हीं दो नैतिक मूल्यों को स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंसच्चाई, ईमानदारी, प्रेम, दयालुता, मैत्री आदि को नैतिक मूल्य कहा जाता है। सच्चाई को स्वतः साध्य मूल्य कहा जाता है यह अपने आप में ही मूल्यपूर्ण है। इसका प्रयोग साधन की भांति नहीं किया जाता, बल्कि यह स्वतः साध्य है। सभी नैतिक मूल्यों का नैतिक आधार सत्य ही है
नैतिक मूल्यों का जीवन में क्या महत्व है विस्तार से समझाइए?
इसे सुनेंरोकेंनैतिकता का सम्बंध मानव जीवन की अभिव्यक्ति से हैं। मानव जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता, महत्त्व अनिवार्यता व अपरिहार्यता जरुरी हैं, ताकि वह अपने परिवार के साथ -साथ सामाजिक दायित्व को निभा सके। नैतिकता सामाजिक जीवन को सुगम एवं विस्तृत बनाती हैं । वैदिक मन्त्रों में नैतिकता को विशेष महत्व दिया जाता हैं ।
सार्वजनिक जीवन क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमनुष्य के वे सभी कार्य जो परोक्ष या अपरोक्ष रूप से दूसरों को प्रभावित करते हैं या प्रभावित करने का प्रयास करते हैं, सार्वजनिक जीवन की श्रेणी में आते हैं। यहाँ तक कि मनुष्य के वे वैचारिक कार्य जो समाज पर प्रभाव डालते हैं, वे भी सार्वजनिक जीवन की श्रेणी में आते हैं
नीतिशास्त्र क्या है Drishti IAS?
इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में कहें तो नीतिशास्त्र एक मानवीय, सामाजिक, सैद्धांतिक एवं व्यवहारपरक ‘विज्ञान’ है जिसके अंतर्गत किसी समाज की परंपराओं, समाज में रहने वाले सामान्य मनुष्य के आचरण या किसी देश की नीतियों के नैतिक मूल्यांकन का तथा विभिन्न दार्शनिक सिद्धांतों एवं नियमों का नैतिक परिप्रेक्ष्य में अध्ययन किया जाता है।
नीतिशास्त्र से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंनीतिशास्त्र” की मानक परिभाषाओं में आदर्श मानव चरित्र का विज्ञान या नैतिक कर्तव्य का विज्ञान जैसे वाक्यांश आम तौर पर शामिल रहे हैं।” रिचर्ड विलियम पॉल और लिंडा एल्डर की परिभाषा के अनुसार नीतिशास्त्र “एक संकल्पनाओं और सिद्धान्तों का समुच्चय हैं जो कौनसा व्यवहार संवेदन-समर्थ जीवों की मदद करता हैं या उन्हें नुकसान पहुँचता …
नीति शास्त्र किसका अध्ययन करता है?
इसे सुनेंरोकेंनीतिशास्र मानव को सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित करता है। अच्छा और बुरा, सही और गलत, गुण और दोष, न्याय और जुर्म जैसी अवधारणाओं को परिभाषित करके, नीतिशास्त्र मानवीय नैतिकता के प्रश्नों को सुलझाने का प्रयास करता हैं।