भूजल स्तर में कमी के कौन से कारण हो सकते हैं?

भूजल स्तर में कमी के कौन से कारण हो सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंपूरे देश में इसके लिए कोई प्रयास नहीं करते हैं. देश में पानी के 80-85 प्रतिशत पेयजल की आपूर्ति भूमिगत जल से परम्परागत स्रोत कम वर्षा व बेतरतीब दोहन के चलते होती है. जबकि सिंचाई में 60-65 प्रतिशत भूमिगत खत्म होते जा रहे हैं इस कारण भूजल स्तर घटता जा जल का प्रयोग किया जाता है.

भौम जल की ऊपरी सीमा क्या कहलाती है?

इसे सुनेंरोकेंभौमजल स्तर – वृष्टि का वह भाग जो कि पृथ्वी के अंदर चला जाता है, भूमिगत जल कहलाता है एवं चट्टानों में पूर्ण संतृप्त क्षेत्र की ऊपरी सीमा भूमिगत जलस्तर कहलाती है

भूजल का अत्यधिक उपयोग क्यों किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंदेश के कुल सिंचित क्षेत्रफल के 60 प्रतिशत से अधिक भूभाग में सिंचाई के लिए भूजल का ही उपयोग किया जाता है। ऐसे क्षेत्रों में सिंधु-गंगा के मैदान और भारत के उत्तर-पश्चिमी, मध्य और पश्चिमी भाग शामिल हैं। कुछ क्षेत्रों (पश्चिमी भारत और सिंधु-गंगा के मैदान) में 90 प्रतिशत से अधिक भाग भूजल द्वारा सिंचित किया जाता है

देश में गिरते भूजल स्तर का पर्यावरण एवं समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंभूजल के अत्यधिक दोहन या दुरुपयोग से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं। अति-दोहन के परिणामस्वरूप भूजल स्तर में कमी तो हो ही रही है इससे उथले कुओं के सूख जाने की परेशानी भी उत्पन्न हो रही है। साथ ही इससे भूजल में समुद्री जल के प्रवेश से यह खारा हो रहा है तथा प्रदूषणकारी तत्वों के कारण यह जल संदूषित भी हो रहा है

भौम जल स्तर को कैसे बढ़ा सकते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवर्षा सिंचाई व्यवस्था कम व्यास के पाइपों द्वारा पौधों को जल का उपयोग भौमजल स्तर की पुन:पूर्ति करने के पानी देने की तकनीक है, जो सीधे उनकी जड़ों तक लिए किया जा सकता है। इसे जल संग्रहण अथवा जल पहुँचाती है।

भूमि में जल का रिसाव क्या कहलाता है?

भू-स्थिर जल से बना निकाय, जलभृत (एक्वीफर) कहलाता है। 4. जल तालिका भूमिगत सतह की ऊपरी परत होती है जिसमें मृदा या चट्टानें स्थायी रूप से पानी के साथ बनी रहती है।…भूजल के स्रोत

सतही जल भूजल
सतही पानी खुले रूप से पाया जाता है एवं आसानी से दूषित हो सकता है। भूजल पृथ्वी के अंदर (छिपा) पाया है एवं इसे आसानी से दूषित नहीं किया जा सकता है।

भूमिगत जल के उपयोग में क्या समस्याएं आती हैं?

इसे सुनेंरोकेंभूमिगत जलस्तर नीचे खिसकने से न सिर्फ जल की उपलब्धता में कमी आती है बल्कि इसकी कमी से भू-गर्भीय निर्वात भी हो सकता है, जो भू-सतह के फटने या धँसने के लिये जिम्मेदार है। इसके फलस्वरूप जान-माल का भी काफी मात्रा में नुकसान हो सकता है। देश में सतही पानी की कमी के चलते निरंतर भूमिगत जल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है