कराधान के उद्देश्यों और सिद्धांतों पर चर्चा करें कि वे महत्वपूर्ण क्यों हैं?

कराधान के उद्देश्यों और सिद्धांतों पर चर्चा करें कि वे महत्वपूर्ण क्यों हैं?

इसे सुनेंरोकें1. प्रत्येक करदाता का भुगतान का समय, भुगतान की राशि भुगतान का तरीका, भुगतान का स्थान, जिस अधिकारी को कर देना है, वह भी निश्चित होना चाहिए। निश्चितता का सिद्धान्त करदाताओं व सरकार दोनों के लिए जरूरी है।

कर से आप क्या समझते हैं करारोपण के विभिन्न सिद्धांतों की विस्तृत व्याख्या कीजिए?

इसे सुनेंरोकेंकर जनता पर लगाया गया वह अनिवार्य भुगतान है जिसे सरकार द्वारा अनिवार्य रूप से एकत्रित किया जाता है तथा उसे सार्वजनिक कार्यों पर सामान्यत: व्यय कर दिया जाता है। डॉल्टन के अनुसार, ”कर किसी सार्वजनिक सत्त द्वारा लगाया गया एक अनिवार्य अंशदान है भले ही इसके बदले में करदाताओं को उतनी सेवाएँ प्रदान की गयी हों अथवा नहीं।

कर योग्य क्षमता से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंकरदेय क्षमता का आशय किसी समुदाय की अधिक से अधिक कर देने की क्षमता या शक्ति से है। यह करारोपण की वह अधिकतम सीमा निर्धारित करती है जिसके बाद करारोपण का समदाय की कार्यक्षमता तथा उत्पादन करने की तत्परता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है अर्थात लोगों की कार्यक्षमता में .

इसे सुनेंरोकेंलोकतंत्र में कराधान ही सरकार की राजनीतिक गतिविधियों को स्वरूप प्रदान करता है। कर करदाता द्वारा किया जाने वाला ऐसा अनिवार्य अंशदान है जो कि सामाजिक उद्देश्य जैसे आय व संपत्ति की असमानता को कम करके उच्च रोजगार स्तर प्राप्त करने तथा आर्थिक स्थिरता व वृद्धि प्राप्त करने में सहायक होता है।

कराधान में न्याय की समस्या क्या है?

इसे सुनेंरोकेंऐसे मामलों में एक बुनियादी सिद्धांत यह है कि किसी अधिकारी को गिरफ्तारी का अधिकार केवल इसलिए नहीं सौंपा जाना चाहिए क्योंकि इससे सरकार को अधिक राजस्व जुटाने में मदद मिल सकती है। न्याय के प्रश्नों पर भी विचार किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए समुचित आकलन के बिना कोई गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए।

सरकार के कर राजस्व के अंतर्गत निम्नलिखित में कौन शामिल है?

इसे सुनेंरोकेंकेन्द्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्त (न्यायिक)। सीमा शुल्क आयुक्त। सीमा शुल्क आयुक्त (न्यायिक)। सीमा शुल्क आयुक्त (निवारक)।

कर योग्य क्षमता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकरदान क्षमता की अवधारणा, केन्द्रीय सरकार की साधनों एवं सहायता अनुदानों के वितरण में मार्गदर्शन करती है। जिससे देश के सभी क्षेत्रों का सन्तुलित विकास हो सके ।