निर्देशन से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंनिर्देशन एक प्रक्रिया है जिसके अनुसार एक व्यक्ति को सहायता प्रदान की जाती है जिससे कि वह अपने समस्या को समझते हुए आवश्यक निर्णय ले सके और निष्कर्ष निकालते हुये अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके।
निर्देशन से क्या अभिप्राय है निर्देशन के कार्य एवं पद्धतियाँ समझाइये?
इसे सुनेंरोकेंनिर्देशन का सामान्य अर्थ संचालन से है। प्रत्येक स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का मार्गदर्शन करना, उनको परामर्श देना, प्रोत्साहन करना तथा उनके कार्यों का निरीक्षण करना निर्देशन कहलाता है। निदर्शन का तात्पर्य अधीनस्थों द्वारा कार्य संपादन करवाने के लिए उनका निर्देशन, मार्गदर्शन तथा उनके कार्य का निरीक्षण करना है।
निर्देशन से आप क्या समझते हैं निर्देशन के मूल सिद्धांतों का वर्णन कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंनिर्देशन के मूलभूत सिद्धांत निर्देशन जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है जो कि जीवन के प्रत्येक चरण में उपयोगी होती है। निर्देशन व्यक्ति विषेश पर बल देता है। यह प्रक्रिया व्यक्ति को स्वतन्त्रता देते हुये उसे अपनी समस्याओं को सुलझाने हेतु उसकी आवश्यकताओं के अनुसार ही सहयोग देता है। निर्देशन स्व निर्देशन पर बल देता है।
निर्देशक का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंनिर्देशन द्वारा व्यक्ति को अपने निर्णय स्वयं ले सकने में सक्षम बनाना है तथा अपना भार स्वयं वहन करने में सहायता करना है। इसके अन्तर्गत एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को उसकी समस्याओं एवं समायोजन के विकल्पों के चयन में सहायक होता है। यह जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करती है।
शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक निर्देशन विवेकपूर्ण प्रयास है जिससे छात्रों के मानसिक एवं बौद्धिक विकास में सहायता की जाती है। वह सभी अनुदेशन, शिक्षण तथा अधिगम की व्रिफयायें जो छात्र के विकास में सहायक होती है शैक्षिक निर्देशन का अंग होती है।
निर्देशन से आप क्या समझते हैं आर्थिक विश्लेषण में इसके कार्यों की विवेचना कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंव्यवसाय सम्बन्धी उद्देश्य व्यक्ति को उचित व्यवसाय चयनित करने में सहयोग देना। विभिन्न व्यवसायों को निरीक्षण करने की सुविधा प्रदान करना। विभिन्न व्यावसायिक अवसरों की जानकारी देना। व्यक्ति में विभिन्न व्यवसाय सम्बन्धी सूचनाओं का विश्लेषण करने की क्षमता का विकास करना।
देव निर्देशन से क्या आशय है इसके गुण एवं दोष बताइए?
इसे सुनेंरोकेंदैव निदर्शन का अर्थ (dev nirdeshan kya hai) इस प्रविधि के द्वार निदर्शन का चुनाव स्वतंत्र रूप से नही होता। इसमें इकाईयों का चयन संयोग पर छोड़ दिया जाता है। अर्थात् समग्र की सभी इकाईयों को चुने का समान अवसर दैव निदर्शन मे मिलता है।
निर्देशन का आधार क्या है इसे संक्षेप में समझाइए?
निर्देशन का परम उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंनिर्देशन का परम उद्देश्य लक्ष्य प्राप्त की दिशा में गति करना है। 2. निर्देशन एक शैक्षिक, सतत, सुव्यवस्थित व क्रमबद्ध प्रक्रिया होती है।
निर्देशक के रूप में शिक्षक की क्या भूमिका होती है स्पष्ट कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंपरामर्श एवं निर्देशन मे शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है । बालक को प्रत्येक स्थिति पर निर्देशन की आवश्यकता होती है , और बालक के शैक्षिक विकास की जानकारी सबसे ज़्यादा एक अध्यापक को होती है , अत एक शिक्षक है जो अपने बालक को सबसे सही निर्देशन दे सकती है।
परामर्शदाता की भूमिका क्या है?
इसे सुनेंरोकेंपरामर्शदाता का लक्ष्य सेवार्थी को समस्या से परिचित कराना है। परामर्शदाता को किसी वस्तु को सही करने वाले के रूप में कार्य करना चाहिए। परामर्शदाता को सेवार्थी के समक्ष समस्त सम्भावनाओं को प्रस्तुत कर देना चाहिए। अन्तिम निर्णय सेवार्थी को ही लेना है।
देव निर्देशन से क्या आशय है इसके गुण तथा दोष बताइए?
इसे सुनेंरोकेंदैव निदर्शन की परिभाषा पार्टेन (Parten) ने इस प्रकार की है, “दैव निदर्शन शब्द उस समय प्रयुक्त किया जाता है, जब समग्र में से प्रत्येक व्यक्ति या तत्व को चुने जाने का समान अवसर प्राप्त होता है।” इस प्रकार दैव निदर्शन, निदर्शन चुनने की ऐसी पद्धति है जिसमें चुनने वाला अपनी इच्छा से किसी इकाई को नहीं चुन सकता, बल्कि संयोग …