भारत में उद्योगों की मुख्य समस्याएं क्या है?

भारत में उद्योगों की मुख्य समस्याएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकुटीर और लघु उद्योग के सामने एक और बड़ी कठिनाई कच्चे माल की खरीद है। कच्चे माल की कमी का अर्थ अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादक क्षमता की बर्बादी और इकाई के लिए नुकसान है। समस्या ने आकार का अनुमान लगाया है- (i) निरपेक्ष कमी, (ii) सामग्री की खराब गुणवत्ता, और (iii) उच्च लागत।

छोटे पैमाने के उद्योग हेतु भारत सरकार द्वारा कौन सी परिभाषा प्रयुक्त की जाती है?

इसे सुनेंरोकेंलघु उद्योग (छोटे पैमाने की औद्योगिक इकाइयाँ /small scale industries) वे इकाइयां हैं जो मध्यम स्तर के विनियोग की सहायता से उत्पादन प्रारम्भ करती हैं। इन इकाइयों मे श्रम शक्ति की मात्रा भी कम होती है और सापेक्षिक रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है।

भारत में लघु एवं कुटीर उद्योगों की मुख्य समस्याएं क्या है समझाइए?

इसे सुनेंरोकेंलघु एवं कुटीर उद्योगों की सबसे बडी समस्या कच्चा माल पर्यात मात्रा में नहीं मिल पाना है और यदि इन्हे मिलता भी है तो बडी परेशानी के बाद ऊॅचे मूल्य चुकाने के बाद। इससे इनकी लागत मूल्य बढ जाती है और वे अपने आर्डर का माल समय पर तैयार नहीं कर पाते। दूसरी प्रमुख बाधा वित्तीय सुविधाओं का अभाव है

औद्योगिक विकास की समस्याएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकृषि में अनिश्चितता है। औद्योगिकीकरण से अर्थव्यवस्था सन्तुलित होगी तथा कृषि की अनिश्चितता कम हो जायेगी। उद्योगों का निर्माण होता है। देश के लाखों बेरोजगारों को इन उद्योगों में काम मिलने लगता है इससे बेरोज़गारी कम होती है।

क्या उद्यमियों की मुख्य समस्याएं हैं?

इसे सुनेंरोकेंएक उद्यमी के सामने सबसे बड़ी समस्या होती है अपने द्वारा बेचे जाने वाले माल का “विपणन” करना। यदि उद्यमी के उधमीय क्षेत्र मे विपणन की सुविधाएं उपलब्ध नही है अथवा अभाव है तो उद्यमी को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उसे अपने माल का विपणन करने के लिए अन्यत्र व्यवस्था करनी होती है

उद्योग करने का सही तरीका क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंयदि आप अपना उद्योग स्थापित करना चाहते हैं तो अपने अनुभव, ज्ञान, क्षमता, मांग, प्रतिस्पर्धा इत्यादि बातों को ध्यान में रखकर ही उत्पाद का चयन करें । और यदि आप पहले से उद्योग स्थपित कर चुके हैं लेकिन उसी इसकी में कुछ और वस्तुओं का उत्पादन करना चाहते हैं तब भी उद्योग को सफल बनाने में सही उत्पाद का अहम योगदान होता है ।

लघु एवं कुटीर उद्योग का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंकुटीर उद्योगों में पूंजी का विनियोग नाम मात्र का होता है। जबकि लघु उद्योगों में अपेक्षाकृत अधिक पूंजी लगाई जाती है। 5. कुटीर उद्योगों में स्थानीय कच्चे माल एवं कुशलता का प्रयोग होता है जबकि लद्यु उद्योगों में कच्चा माल तथा तकनीकी कुशलता बाहर से भी प्राप्त की जा सकती है।