पाणिग्रहण संस्कार का क्या अर्थ है?

पाणिग्रहण संस्कार का क्या अर्थ है?

इसे सुनेंरोकेंपाणिग्रहण का अर्थ : पाणिग्रहण संस्कार को सामान्य रूप से ‘विवाह’ के नाम से जाना जाता है। वर द्वारा नियम और वचन स्वीकारोक्ति के बाद कन्या अपना हाथ वर के हाथ में सौंपे और वर अपना हाथ कन्या के हाथ में सौंप दे। इस प्रकार दोनों एक-दूसरे का पाणिग्रहण करते हैं। कालांतर में इस रस्म को ‘कन्यादान’ कहा जाने लगा, जो कि अनुचित है।

विवाह में ग्रंथि बंधन कब होता है?

इसे सुनेंरोकेंअविवाहितों को एक यज्ञोपवीत तथा विवाहितों को जोड़ा पहनाने का नियम है। यदि यज्ञोपवीत न हुआ हो, तो नया यज्ञोपवीत और हो गया हो, तो एक के स्थान पर जोड़ा पहनाने का संस्कार विधिवत् किया जाना चाहिए। ‍अच्छा हो कि जिस शुभ दिन को विवाह-संस्कार होना है, उस दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण का क्रम व्यवस्थित ढंग से करा दिया जाए।

द्वार पूजा कैसे किया जाता है?

इसे सुनेंरोकेंतत्पश्चात् ‘वर’ और कन्यादाता परस्पर अभिमुख बैठकर षट्कर्म, कलावा, तिलक, कलशपूजन, गुरुवन्दना, गौरी-गणेश पूजन, सर्वदेवनमस्कार, स्वस्तिवाचन करें। इसके बाद कन्यादाता वर सत्कार के सभी कृत्य आसन, अर्घ्य, पाद्य, आचमन, मधुपर्क आदि (विवाह संस्कार से) सम्पन्न कराएँ। तत्पश्चात् ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां………..

पानी ग्रहण का अर्थ क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दीशब्दकोश में पाणिग्रहण की परिभाषा विवाह की एक रीति जिसमें कन्या का पिता उसका हाथ वर के हाथ में देता है । विशेष—दे० ‘विवाह’ । २. विवाह ।

सात फेरे क्यों लिए जाते हैं?

इसे सुनेंरोकेंयह सात फेरे ही पति-पत्नी के रिश्ते को सात जन्मों तक बांधते हैं. विवाह के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर इसकी परिक्रमा करते हैं व एक-दूसरे को सुख से जीवन बिताने के लिए वचन देते हैं. विवाह में निभाई जाने वाली इस प्रक्रिया को सप्तपदी भी कहा जाता है. वर-वधू द्वारा निभाए गए इन सातों फेरों में सात वचन भी होते हैं.

विवाह कौन सा संस्कार है?

इसे सुनेंरोकेंविवाह संस्कार हिन्दू धर्म संस्कारों में ‘त्रयोदश संस्कार’ है। स्नातकोत्तर जीवन विवाह का समय होता है, अर्थात् विद्याध्ययन के पश्चात् विवाह करके गृहस्थाश्रम में प्रवेश करना होता है। यह संस्कार पितृ ऋण से उऋण होने के लिए किया जाता है। मनुष्य जन्म से ही तीन ऋणों से बंधकर जन्म लेता है- ‘देव ऋण’, ‘ऋषि ऋण’ और ‘पितृ ऋण’।

विवाह कैसे कराये?

इसे सुनेंरोकें‍अच्छा हो कि जिस शुभ दिन को विवाह-संस्कार होना है, उस दिन प्रातःकाल यज्ञोपवीत धारण का क्रम व्यवस्थित ढंग से करा दिया जाए। विवाह-संस्कार के लिए सजे हुए वर के वस्त्र आदि उतरवाकर यज्ञोपवीत पहनाना अटपटा-सा लगता है। इसलिए उसको पहले ही पूरा कर लिया जाए। यदि वह सम्भव न हो, तो स्वागत के बाद यज्ञोपवीत धारण करा दिया जाता है।

शादी में गठबंधन कौन करता है?

इसे सुनेंरोकेंपाणिग्रहण के बाद वर के कंधे पर डाले सफेद दुपट्टे में वधू की साडी के एक कोने की गांठ बांध दी जाती है इसे आम बोलचाल की भाषा में गठबंधन बोलते हैं। इस बंधन का प्रतीकात्मक अर्थ है वर और वधू के शरीर और मन का एक संयुक्त इकाई के रूप में एक नई सत्ता की शुरूआत। इसलिए गठबंधन को अटूट अर्थात कभी न टूटने वाला अजर और अमर माना गया है।

परिणय का मतलब क्या है?

इसे सुनेंरोकेंहिन्दीशब्दकोश में परिणय की परिभाषा विवाह । उद्वाह । दारपरिग्रह । शादी ।

विवाह में कन्या पक्ष के लोग को क्या कहते हैं?

इसे सुनेंरोकेंइस विवाह में वर पक्ष के लोग बारात नहीं जाकर लड़की के परिवार वालों को ही वर के घर बुलाते हैं। विवाद के उपरांत कन्यादान की रस्म निभायी जाती है। कन्या पक्ष के लोग ही होते बाराती : कढ़ू शादी में विवाह की रस्म पूरी करने कन्या पक्ष के लोग बाराती बनकर आते हैं तथा वे लोग कन्यादान कर चले जाते हैं।

शादी के समय कौन से सात वचन कन्या अपने पति को देती है?

इसे सुनेंरोकेंमैं स्वच्छतापूर्वक सभी ऋंगारों को धारणकर मन, वाणी और शरीर की क्रिया द्वारा आपके साथ क्रीडा करुंगी। दुःख में धीरज रखने वाली और सुख में प्रसन्न होने वाली मैं तुम्हारे सुखःदुःख की साथी बनूंगी। मैं कदापि परपरुष का संग नहीं करुंगी। मैं आपके सभी काम सुख पूर्वक करुंगी, सास-ससुर की सेवा और दूसरे संबंधियों का सत्कार करुंगी।

पंडित विवाह कैसे पढ़ते हैं?

शादी में 7 फेरे लेते समय पंडित बोलते हैं खास मंत्र, जानें हर एक…

  • तीर्थव्रतोद्योपन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्याय वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !!
  • पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:,
  • जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,