वर मुद्रा क्या है?
इसे सुनेंरोकेंवरदमुद्रा, वह मुद्रा है जिसमें हाथ की स्थिति वर देते हुए होती है। वर देते समय हथेली ऊपर की ओर होती है अंगुलियाँ नीचे की तरफ होती हैं। अधिकांश देवप्रतिमाएँ वरदमुद्रा में या अभयमुद्रा में होतीं हैं। प्रायः खुली हथेली के मध्य में कमल की कली दर्शायी जती है।
ध्यान मुद्रा कैसे करें?
इसे सुनेंरोकें*ध्यान ज्ञान मुद्रा (dhyaan gyan mudra) : आप पद्मासन में बैठकर दोनों हाथों की कोहनियों को घुटनों पर रखते हुए दोनों हाथों के अंगूठे के प्रथम पोर को तर्जनी अंगुली के प्रथम पोर से मिला दें अर्थात अंगूठे को तर्जनी (इंडेक्स) अंगुली से स्पर्श करते हुए शेष तीन अंगुलियों को सीधा तान दें।
मुद्रा से होने वाले क्या महत्वपूर्ण लाभ है?
अपानवायुमुद्रा के फायदे
- ह्रदय रोगों और वात दोष से होने वाले रोगों को दूर करती है।
- कमजोर दिल वाले लोगों को इसे रोज करना चाहिए। दिल का दौरा पड़ते ही इस मुद्रा को करने से आराम मिलता है।
- गैस की समस्या दूर करता है।
- सिरदर्द, अस्थमा एवं हाई ब्लड प्रेशर में लाभकारी है।
- सीढियां चढ़ने से पहले 5-7 मिनट इस मुद्रा को करें।
कुबेर कौन है?
इसे सुनेंरोकेंयक्षों के राजा कुबेर धन के स्वामी हैं और उत्तर दिशा के दिकपाल हैं। संसार के रक्षक लोकपाल भी हैं। वह रावण, कुंभकर्ण और विभीषण के सौतेले भाई हैं, लेकिन ब्राह्मण गुणों के कारण कुबेर देवता बनाए गए। धन के देवता कुबेर को भगवान शिव का द्वारपाल भी बताया जाता है
बंधन और मुद्रा क्यों जरूरी है?
इसे सुनेंरोकेंमुद्राओं एवं बंधों के प्रयोग करने से मंदाग्नि, कोष्ठबद्धता, बवासीर, खाँसी, दमा, तिल्ली का बढ़ना, योनिरोग, कोढ़ एवं अनेक असाध्य रोग अच्छे हो जाते हैं। ये ब्रह्मचर्य के लिये प्रभावशाली क्रियाएँ हैं। ये आध्यात्मिक उन्नति के लिये अनिवार्य हैं।
क्यों Bandhas और मुद्राएं जरूरी हैं?
इसे सुनेंरोकेंघेरंड ने 25 मुद्राओं एवं बंध का उपदेश दिया है और भी अनेक मुद्राओं का उल्लेख अन्य ग्रंथों में मिलता है। मुद्राओं के अभ्यास से गंभीर से गंभीर रोग भी समाप्त हो सकता है। मुद्राओं से सभी तरह के रोग और शोक मिटकर जीवन में शांति मिलती है। हठयोग प्रदीपिका में 10 मुद्राओं का उल्लेख कर उनके अभ्यास पर जोर दिया गया है।
ज्ञान मुद्रा के लिए कौन कौन सी क्रियाएं की जाती है?
ज्ञान मुद्रा की विधि
- सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर एक दरी / चटाई या योगा मैट बिछा दे।
- अब सुखासन, पद्मासन या वज्रासन में बैठ जाये।
- ज्ञानमुद्रा हम खड़े रहकर ताड़ासन में या खुर्ची पर बैठ कर भी कर सकते हैं।
- अपने हाथों को घुटनों पर रखे और हाथों की हथेली ऊपर की ओर आकाश की तरफ होनी चाहिए।
सूर्य मुद्रा कैसे करते हैं?
इसे सुनेंरोकेंअनामिका को हथेली की ओर मोड़कर उसे अगुठे से दबाएं, बाकी बची तीनों ऊंगलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहते हैं। इस मुद्रा का रोज दो बार 5 से 15 मिनट के लिए अभ्यास करने से शरीर का कोलेस्ट्रॉल घटता है। वजन कम करने के लिए भी इस मुद्रा का उपयोग किया जाता है