क्या हैं लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं?
सूचना का अधिकार- इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार होगा। 4. लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी-
क्या है इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम?
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 है। (3) धारा 4 की उपधारा (1), धारा 5 की उपधारा (1) और उपधारा (2), धारा 12, धारा 13, धारा 15, धारा 16, धारा 24, धारा 27 और धारा 28 के उपबंध तुरन्त प्रभावी होंगे और इस अधिनियम के शेष उपबंध इसके अधिनियम के एक सौ बीसवें दिन को प्रवृत्त होंगे। 2.
क्या लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग के लिए आवश्यक है?
और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिये भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिये अनिवार्य है;
कौन सा लोक सूचना अधिकारी अभिप्रेत है?
(ड) “राज्य लोक सूचना अधिकारी” से उपधारा (1) के अधीन पदाभिहित राज्य लोक सूचना अधिकारी अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन उस रूप में पदाभिहित राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी भी है; (ढ) “पर व्यक्ति” से सूचना के लिये अनुरोध करने वाले नागरिक से भिन्न कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत कोई लोक प्राधिकारी भी है। 3.
विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बनाना आवश्यक है?
और वास्तविक व्यवहार में सूचना के प्रकटन से संभवतः अन्य लोक हितों, जिनके अंतर्गत सरकारों के दक्ष प्रचालन, सीमित राज्य वित्तीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग और संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखना भी है, के साथ विरोध हो सकता है; और लोकतंत्रात्मक आदर्श की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बनाना आवश्यक है;
क्या है उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या?
कम से कम 7 से अधिक न्यायधीश उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होना आवश्यक है। समय-समय पर विधि द्वारा न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जाती रही है।वर्तमान में भारत के उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर कुल 33 न्यायाधीश हैं।
सूचना का अधिकार- इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, सभी नागरिकों को सूचना का अधिकार होगा। 4. लोक प्राधिकारियों की बाध्यताएं- (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी-
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ-(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 है। (3) धारा 4 की उपधारा (1), धारा 5 की उपधारा (1) और उपधारा (2), धारा 12, धारा 13, धारा 15, धारा 16, धारा 24, धारा 27 और धारा 28 के उपबंध तुरन्त प्रभावी होंगे और इस अधिनियम के शेष उपबंध इसके अधिनियम के एक सौ बीसवें दिन को प्रवृत्त होंगे। 2.
और लोकतंत्र शिक्षित नागरिक वर्ग तथा ऐसी सूचना की पारदर्शिता की अपेक्षा करता है, जो उसके कार्यकरण तथा भ्रष्टाचार को रोकने के लिये भी और सरकारों तथा उनके परिकरणों को शासन के प्रति उत्तरदायी बनाने के लिये अनिवार्य है;
(ड) “राज्य लोक सूचना अधिकारी” से उपधारा (1) के अधीन पदाभिहित राज्य लोक सूचना अधिकारी अभिप्रेत है और इसके अंतर्गत धारा 5 की उपधारा (2) के अधीन उस रूप में पदाभिहित राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी भी है; (ढ) “पर व्यक्ति” से सूचना के लिये अनुरोध करने वाले नागरिक से भिन्न कोई व्यक्ति अभिप्रेत है, और इसके अंतर्गत कोई लोक प्राधिकारी भी है। 3.
और वास्तविक व्यवहार में सूचना के प्रकटन से संभवतः अन्य लोक हितों, जिनके अंतर्गत सरकारों के दक्ष प्रचालन, सीमित राज्य वित्तीय संसाधनों के अधिकतम उपयोग और संवेदनशील सूचना की गोपनीयता को बनाए रखना भी है, के साथ विरोध हो सकता है; और लोकतंत्रात्मक आदर्श की प्रभुता को बनाए रखते हुए इन विरोधी हितों के बीच सामंजस्य बनाना आवश्यक है;
कम से कम 7 से अधिक न्यायधीश उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होना आवश्यक है। समय-समय पर विधि द्वारा न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई जाती रही है।वर्तमान में भारत के उच्चतम न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर कुल 33 न्यायाधीश हैं।