पितर पच क्या है?

इसे सुनेंरोकेंभाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक का पक्ष ‘महालय’ श्राद्ध पक्ष कहलाता है। इस पक्ष में व्यक्ति की जिस तिथि को मृत्यु हुई है उस तिथि के दिन उस मृत व्यक्ति के पुत्र-पौत्रदि द्वारा उसका श्राद्ध किया जाता है। इस श्राद्ध भोज में पितरों को कई प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों का भोग लगाया जाता है

पितृ पक्ष में मरने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंज्योतिषाचार्य ने बताया कि पितृ पक्ष में कोई व्यक्ति प्राण त्यागता है, तो उस व्यक्ति की मृत आत्मा अपनी दिवंगत मृत परिजनों की आत्माओं के साथ संबंध जोड़ने में सफल होती है. और अपनी दिवंगत मृत आत्माओं का सान्निध्य पाकर अपनी आत्म उन्नति का मार्ग प्राप्त करती है, इसलिए कहा गया है कि पितृपक्ष में मरने वालों को परलोक मिलता है

पितरों की उत्पत्ति कैसे हुई?

इसे सुनेंरोकेंविष्णु पुराण के अनुसार सृष्टि की रचना के समय ब्रह्मा जी के पृष्ठ भाग यानी पीठ से पितर उत्पन्न हुए। पितरों के उत्पन्न होने के बाद ब्रह्मा जी ने उस शरीर को त्याग दिया जिससे पितर उत्पन्न हुए थे। पितर को जन्म देने वाला शरीर संध्या बन गया, इसलिए पितर संध्या के समय शक्तिशाली होते हैं

पितरों की स्थापना कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंदक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें।

पितरों की पूजा क्यों की जाती है?

इसे सुनेंरोकेंपितरों की पूजा करके मनुष्य आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, श्री, पशु, सुख और धन-धान्य प्राप्त करता है। देवकार्य से भी पितृकार्य का विशेष महत्व है। देवताओं से पहले पितरों को प्रसन्न करना अधिक कल्याणकारी है।

पितृ पक्ष क्यों होता है?

इसे सुनेंरोकेंपितरों की शांति के लिए हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितृ पक्ष श्राद्ध होते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कुछ समय के लिए यमराज पितरों को आजाद कर देते हैं ताकि वो अपने परिजनों से श्राद्ध ग्रहण कर सकें।

पितृ पक्ष में जन्मे बच्चे कैसे होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंश्राद्ध पक्ष में जन्म लेने वाले बच्चे कुछ खास गुणों से युक्त होते हैं. ऐसे बच्चे बेहद सृजनात्मक होते हैं और इनकी बौद्धिक क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में बेहतर होती है. यह ना केवल आत्मविश्वासी होते हैं बल्कि आप गौर करेंगे तो आपको इन बच्चों के गुण आपके परिवार के ही किसी पुरखे से मिलते-जुलते मिलेंगे.