ट्रस्ट में कितने पद होते हैं?

ट्रस्ट में कितने पद होते हैं?

ट्रस्ट डीड में महत्वपूर्ण खंड निम्नलिखित हैं:

  • ट्रस्ट का नाम
  • ट्रस्ट का पंजीकृत कार्यालय
  • ट्रस्ट के संचालन का क्षेत्र
  • ट्रस्ट का उद्देश्य
  • ट्रस्ट के लेखक का विवरण
  • ट्रस्ट के कॉर्पस / एसेट्स
  • न्यासी मंडल का विवरण
  • उनकी योग्यता, पद और कार्यकाल के साथ बोर्ड का कोरम

सोसाइटी को ट्रस्ट में कैसे बदलें?

इसे सुनेंरोकेंचैरिटी कमिश्नर या असिस्टेंट कमिश्नर कार्यालय जाकर फॉर्म लें और प्रोफॉर्मा के मुताबिक उसे भरें और साथ में संबंधित दस्तावेज लगाएं। इसके बाद राज्य के पब्लिक ट्रस्ट एक्ट और सोसायटी एक्ट 1860 के तहत उसी कार्यालय में आवेदन करें। इसके बाद आपको सोसायटी एक्ट के तहत एक महीने में रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ सर्टिफिकेट मिल जाएगा।

ट्रस्ट का मालिक कौन होता है?

इसे सुनेंरोकेंलेखक द्वारा स्वयं यह घोषित करते हुए एक ट्रस्ट बनाया जा सकता है कि वह संपत्ति का मालिक होगा, मालिक के रूप में नहीं, बल्कि अपने आप सहित कुछ व्यक्ति या व्यक्तियों के लाभ के लिए ट्रस्टी के रूप में और ऐसे मामले में संपत्ति का हस्तांतरण आवश्यक नहीं है, लेकिन इसकी घोषणा ट्रस्ट मालिक द्वारा होता है और उसे अकेले ही ट्रस्टी होना ..

ट्रस्ट का नियम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंइस दस्तावेज़ को ट्रस्टी और नोटरी की उपस्थिति में गवाहों द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना चाहिए। ट्रस्ट दस्तावेज़ में सभी ट्रस्टी नाम और पते, ट्रस्टियों की संख्या, नियम, विनियमन और इसके उद्देश्य शामिल होने चाहिए। संपत्ति का मालिक उस जगह के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान करना चाहिए जहां ट्रस्ट कार्यालय स्थित है

ट्रस्ट और चैरिटेबल ट्रस्ट में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंविशेष टिप्पणी : कंपनी एक्ट के तहत अलाभकारी कंपनी, सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर की हुई सोसायटी व ट्रस्ट एक्ट के तहत रजिस्टर की हुई पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट ये तीनों एनजीओ ही कहलाती है. ट्रस्ट भी एनजीओ कहलाती है. कानून/ एक्ट जिनके तहत एनजीओ को रजिस्टर कराया जाता है.

सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन कैसे कराएं?

ऑनलाइन सोसायटी पंजीकरण – एक विस्तृत प्रक्रिया

  1. सदस्य: एक राज्य समाज के लिए सात सदस्यों में से न्यूनतम और आठ अलग-अलग राज्यों (दिल्ली में एक) से न्यूनतम आठ सदस्य होना अनिवार्य है
  2. अधिकार क्षेत्र: जहां समाज का पंजीकृत कार्यालय स्थित है।
  3. गवर्निंग एक्ट: सोसायटी का संचालन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1986 द्वारा किया जाता है।

ट्रस्ट कितने प्रकार का होता है?

इसे सुनेंरोकेंट्रस्ट के करीब तीन प्रकार होते हैं – निजी या फैमिली ट्रस्ट, धार्मिक ट्रस्ट और चैरिटेबल ट्रस्ट। ट्रस्ट बनाने से पहले करदाता को अपने लक्ष्य तय करना जरूरी है और फिर उसके बाद ट्रस्ट डीड बनाया जा सकता है। ट्रस्ट डीड बनाने के बाद नोटरी या सब-रजिस्ट्रार के यहां इसकी रजिस्ट्री भी करना जरूरी है

ट्रस्ट का उद्देश्य क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसाधारणतया ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य इस प्रकार से है। यह समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने हेतु प्रवचन, सेमिनार, अन्य कार्यक्रम आदि का आयोजन करता है । यह धर्म के प्रति फैली हुई भ्रांतियों को दूर करता है। और शुद्ध धर्म का वैज्ञानिक आधार पर प्रचार प्रसार करता है

ट्रस्ट का नाम क्या रखें?

इसे सुनेंरोकेंफाउंडेशन, समिति शब्द नाम के साथ लगा सकते है. फाउंडेशन, समिति, सोसायटी, आर्गेनाइजेशन शब्द संस्था / सोसायटी के नाम के साथ लगा सकते है. ट्रस्ट के नाम के साथ फाउंडेशन, ट्रस्ट, समिति, सोसायटी या इसी तरह के अन्य शब्द लगा सकते है. ट्रस्ट बनाते समय नाम के साथ ट्रस्ट ही लगाना जरूरी नहीं है.

ट्रस्ट और समिति में क्या अंतर है?

इसे सुनेंरोकेंट्रस्ट और सोसायटी के बीच महत्वपूर्ण अंतर ट्रस्ट पार्टियों के बीच एक समझौता है, जिसके तहत एक पक्ष दूसरे पक्ष के लाभ के लिए संपत्ति रखता है। ट्रस्ट भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत पंजीकृत हैं, जबकि सोसायटी को भारतीय सोसायटी अधिनियम, 1860 के तहत शामिल किया गया है।