आत्मसम्मान क्या है परिभाषा?
इसे सुनेंरोकेंआत्मसम्मान का बाहरी उपलब्धियों और सफलताओं से बहुत अधिक लेना-देना नहीं है। आत्मविश्वास स्वयं की सहज स्वीकृति, स्व-प्रेम और स्व-सम्मान की व्यक्तिगत अनुभूति है, जो दूसरों की प्रशंसा, निंदा और मूल्यांकन आदि से स्वतंत्र है
आत्म अवधारणा के आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंआत्म-धारणा आत्मसम्मान से अलग है: स्वयं अवधारणा आत्म का एक संज्ञानात्मक या वर्णनात्मक घटक है जबकि आत्मसम्मान मूल्यांकन और स्वच्छंद है। आत्म-धारणा एक आत्म – स्कीमा का बना हुआ है , और आत्म सम्मान, आत्म – ज्ञान, और पूरे के रूप में स्वयं के लिए फार्म का सामाजिक स्वयं के साथ सूचना का आदान प्रदान किया जाता है।
आत्म प्रत्यक्षीकरण क्या है?
इसे सुनेंरोकेंडॉ. एस.एस. माथुर के अनुसार – “एक व्यक्ति जिस प्रकार से अपना प्रत्यक्षीकरण करता अथवा जिस ढंग से अपने को देखता है उसे व्यक्ति का आत्म सम्प्रत्यय कहते हैं। ‘ समायोजन :- समायोजन वह प्रकिया है जिसमें व्यक्ति अपने और पर्यावरण के बीच सामंजस्यपूर्ण संबध प्राप्त करने के लिये अपने व्यवहार में परिवर्तन करता है।
अपने आत्मसम्मान को दांव पर लगाकर जीवित रहना अशोभनीय है किसका कथन है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: यह कथन भीमराव अंबेडकर के द्वारा कहा गया हैं
आत्मसम्मानी व्यक्ति मानव मात्र को अपने परिवार का अंग क्यों मानता है?
इसे सुनेंरोकेंआत्मसम्मान में अपने व्यक्तित्व को अधिकाधिक सशक्त एवं प्रतिष्ठित बनाने की भावना निहित होती है। चूँकि आत्मसम्मानी व्यक्ति अपनी अथवा दूसरों की आत्मा का हनन करना पसंद नहीं करता है, इसलिए वह ईर्ष्या-द्वेष जैसी भावनाओं से मुक्त होकर मानव मात्र को अपने परिवार का अंग मानता है।
आत्म निर्देशित विकास क्या है?
इसे सुनेंरोकेंव्यक्तिगत विकास आपके कौशलों और ज्ञान को विकसित करने, आकार देने और सुधार करने की जीवन-पर्यंत प्रक्रिया है ताकि विद्यालय की कार्य क्षेत्र में अधिकतम प्रभावकारिता और सकारात्मक आत्म-अवधारणा का विकास सुनिश्चित किया जा सके।
आत्म जागरूकता कितने प्रकार की होती है?
आत्म-जागरूकता के स्तर
- स्तर 1: भिन्नता – इस बिंदु पर, बच्चों को पता होना शुरू हो जाता है कि यह दर्पण में जो दिखाई देता है वह पर्यावरण में जो कुछ भी समझता है उससे भिन्न होता है।
- स्तर 2: स्थिति – आत्म-जागरूकता का यह स्तर एक बढ़ती समझ से विशेषता है कि दर्पण की सतह में स्वयं निर्मित आंदोलनों को देखा जा सकता है।
आत्म अभिव्यक्ति को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंआत्म के अन्तर्गत व्यक्ति का चिंतन, अनुभूति और कार्य के कर्ता का रूप आता है। इस प्रकार जब मैं क्रोध का अनुभव करता हूँ या स्वतंत्रता के विचार के बारे में सोचता हूँ, वह “मैं” है आत्म कर्तारूप में। दूसरी ओर आत्म कारक के रूप में आत्म के बारे में दूसरे व्यक्ति का दष्टिकोण या “मुझे” है।
व्यक्तित्व के विभिन्न आयामों का स्वयं की पहचान पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इसे सुनेंरोकेंअपने व्यक्तित्व को पहचान सकते हैं, अर्थात् स्वयं को पहचान सकते हैं। जीवन में दूसरों के साथ ही सामंजस्य बैठाने के लिए स्वयं को पहचानना अत्यन्त आवश्यक है। जन्म के साथ ही बच्चों के लिंग तथा शारीरिक रूप-रंग, स्वभाव तथा मानसिक क्षमताओं का कुछ हद तक निर्धारण हो जाता है।