बड़े बांधों के निर्माण से पर्यावरण को कैसे हानि होती है?

बड़े बांधों के निर्माण से पर्यावरण को कैसे हानि होती है?

इसे सुनेंरोकेंबांधों के आसपास के निवास स्थान में बाढ़ आने से पेड़-पौधे और अन्य जीवन नष्ट हो जाते हैं जो अपघटित होकर वायुमंडल में बड़ी मात्रा में कार्बन का उत्सर्जन करते हैं। क्योंकि नदी का बहाव अवरुद्ध रहता है, इसलिये पानी स्थिर हो जाता है और जलाशय के निचले हिस्से (तल) में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।

क्या बड़े बांध हानिकारक है?

इसे सुनेंरोकेंजैव विविधता–बांधों के कारण पानी रुकने से मछलियों की कई प्रजाति समाप्त हो जाती है जिससे जलीय जैव विविधता को नुकसान होता है. जलाशयों से प्रेरित भूस्खलन– बांधो द्वारा सुरंग बनाइ जाती हैं. इन सुरंगों को बनाने के लिये पहाड़ियों में ब्लास्टिंग की जाती है जो पहाड़ियों को अस्थिर कर देता है.

बन्दे से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंबांध नहर अथवा नदी पर जल के प्रवाह को रोकने का एक अवरोध है तथा इसको कई प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है । बड़े बांधों का निर्माण करना अधिक जटिल होता है जिससे अत्यधिक कार्य, शक्ति, समय तथा धन खर्च होता है । बांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है ।

बांधों का निर्माण कैसे होता है?

इसे सुनेंरोकेंबांध का निर्माण कंक्रीट, चट्टानों, लकड़ी अथवा मिट्टी से भी किया जा सकता है । भाखड़ा बांध, सरदार सरोवर, टीहरी बांध इत्यादि बड़े बांधों के उदाहारण है । एक बांध की इसके पीछे के पानी के भार को वहन करने की क्षमता अतिआवश्यक होती है । बांध पर धकेले जाने वाली जल की मात्रा को जल-दाब कहते है ।

पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा क्या है?

इसे सुनेंरोकेंवायु प्रदूषण, गरीब कचरे का प्रबंधन, बढ़ रही पानी की कमी, गिरते भूजल टेबल, जल प्रदूषण, संरक्षण और वनों की गुणवत्ता, जैव विविधता के नुकसान, और भूमि / मिट्टी का क्षरण प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों में से कुछ भारत की प्रमुख समस्या है। भारत की जनसंख्या वृद्धि पर्यावरण के मुद्दों और अपने संसाधनों के लिए दबाव समस्या बढ़ाते है।

अगर टिहरी बांध टूट जाये तो क्या होगा?

इसे सुनेंरोकेंअगर गलती से ये बाँध टूट गया तो इसके टूटने के कारण ऋषिकेश, हरिद्वार, बिजनौर, मेरठ और बुलंदशहर इसमें जलमग्न हो जाएँगे। टिहरी बाँध उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है।

बांध से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंबाँध एक अवरोध है जो जल को बहने से रोकता है और एक जलाशय बनाने में मदद करता है। इससे बाढ़ आने से तो रुकती ही है, जमा किये गया जल सिंचाई, जलविद्युत, पेय जल की आपूर्ति, नौवहन आदि में भी सहायक होती है।