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कोटि कुलिस किसे और क्यों कहा गया है?
इसे सुनेंरोकेंउपर्युक्त पंक्ति लक्ष्मण जी ने परशुराम जी से उस समय कही जब वे उन्हें बार-बार अपने क्रोध,पराक्रम और प्रतिष्ठा के विषय में बताते हुये उन्हें अपने फरसे की तीक्ष्णता से भी अवगत करा रहे थे जिसे सुन कर लक्ष्मण जी स्वयं पर नियंत्रण नहीं रख सके और प्र्त्युत्तर में बोले कि बार-बार ये कुल्हाड़ा दिखा कर आप मानो फूँक से पहाड़ …
भृगुकुलकेतु कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंभृगुकुलकेतु परशुराम को कहा गया है।
लक्ष्मण के अनुसार धनुष टूटने के ज़िम्मेदार श्री राम क्यों नहीं हैं?
इसे सुनेंरोकेंधनुष टूट जाने पर लक्ष्मण इसका जिम्मेदार राम को नहीं मान रहे थे। उनका मानना था कि धनुष बहुत पुराना और कमज़ोर था जो राम के छूते ही टूट गया था। राम ने तो इसे नया समझकर उठाया था।
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं जे तरजनी देखि मरि जाहीं प्रस्तुत पद में कुम्हड़बतिया के समान कौन लोग नहीं होते?
इसे सुनेंरोकेंपरशुराम की डींगों को सुनकर लक्ष्मण पुनः कहते हैं कि हे मुनि, आप अपने आपको बड़ा भारी योद्धा समझते हैं और फूंक मारकर पहाड़ उड़ाना चाहते हैं। हम भी कोई कुम्हड़बतिया नहीं कि तर्जनी देखकर मुरझा जाएंगे। आप ये धनुष-बाण व्यर्थ ही धारण किए हुए हैं क्योंकि आपका तो एक-एक शब्द करोड़ों वज्रों के समान है।
भृगुसुत से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंभृगुसुत संज्ञा पुं० [सं०] १. शुक्राचार्य । २. शुक्र ग्रह ।
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाही कहकर लक्ष्मण क्या समझाना चाहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंउक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है। भाव- भाव यह है कि लक्ष्मण जी अपनी वीरता और अभिमान का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम भी कोई कुम्हड़बतिया नहीं है जो किसी की भी तर्जनी देखकर मुरझा जाएँ। मैंने फरसे और धनुष-बाण को अच्छी तरह से देख लिया है।
भृगुकुलकेतु में कौनसा अलंकार है?
इसे सुनेंरोकेंउपमा अलंकार – सहसबाहु सम सो रिपु मोरा | रूपक अलंकार – भृगुकुलकेतु | अतिश्योक्ति अलंकार – छुअत टूट ।
क्षत्रिय कुल द्रोही कौन है?
इसे सुनेंरोकेंपरशुराम जी को क्षत्रिय कुल का द्रोही इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने 21 * बार क्षत्रिय वंश का नाश किया है।।।
राम लक्ष्मण के स्वभाव में क्या अंतर था?
इसे सुनेंरोकेंराम और लक्ष्मण दोनों एक ही पिता की संतान थे। उन्होंने एक ही गुरु से शिक्षा पाई थी और एक-से वातावरण में ही रहे थे पर दोनों के स्वभाव में बहुत बड़ा अंतर था। राम स्वभाव से शांत थे पर लक्ष्मण उग्र स्वभाव के थे। परशुराम के क्रोध करने पर-राम शांत भाव से बैठे रहे थे पर लक्ष्मण उन पर व्यंग्य करते हुए उन्हें उकसाते रहे थे।
लक्ष्मण ने धनुष टूटने के क्या कारण बताएँ और वीर योद्धा की क्या विशेषताएँ बताई?
इसे सुनेंरोकेंउत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि वह तो बड़ा ही पुराना धनुष था जो श्रीराम के छूने से ही टूट गया। उन्होंने कहा कि बचपन में खेल खेल में उन्होंने कई धनुष तोड़े थे इसलिए एक टूटे धनुष के लिए इतना क्रोध करना उचित नहीं है।
कुम्हड़बतिया से लक्ष्मण का क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंउक्त पंक्तियों में लक्ष्मण जी द्वारा परशुराम जी के बोले हुए अपशब्दों का प्रतिउत्तर दिया गया है। भाव- भाव यह है कि लक्ष्मण जी अपनी वीरता और अभिमान का परिचय देते हुए कहते हैं कि हम भी कोई कुम्हड़बतिया नहीं है जो किसी की भी तर्जनी देखकर मुरझा जाएँ।
कुम्हड़बतिया किसका प्रतीक है?
इसे सुनेंरोकेंAnswer: कुम्हड़बतिया का अर्थ है कद्दू का छोटा फल। चौपाई में लक्ष्मण जी ने कहा है कि वे कोई छोटा फल (छोटे बच्चे) नहीं है जो सिर्फ उंगली देखकर डर जाए।