शैक्षिक समाजशास्त्र के जनक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंसंक्षेप में शैक्षिक समाजशास्त्र वह विज्ञान है, जो शिक्षा सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली प्रक्रियाओं, जन समूहों, संस्थाओं तथा समितियों का अध्यन करता है। जार्ज पेनी (E. George Payne) को शैक्षिक समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है।
दुर्खीम की मृत्यु कब हुई?
15 नवंबर 1917
इमाईल दुर्खीम/मृत्यु तारीख
शैक्षिक समाजशास्त्र पुस्तक के लेखक कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक समाजशास्त्र Educational Sociology शिक्षा और समाज, दो शब्दों से मिलकर बना होता है जिसका अर्थ होता है समाजशास्त्र में शिक्षा या शिक्षा में समाजशास्त्र का समावेश। जॉर्ज पैनी (E. George peyne ) को शैक्षिक समाजशास्त्र का जनक माना जाता हैं।
धार्मिक जीवन के प्रारंभिक रूप पुस्तक में दुर्खीम ने सर्वप्रथम कौन सा सिद्धांत प्रतिपादित किया?
इसे सुनेंरोकेंदुर्ख़ाइम का मत था कि मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी के रूप में बनाये रखने के लिए सामाजिक प्रक्रियाओं और साहचर्य के ख़ास रूपों की दरकार होती है।
एलीमेंट्री फॉर्म्स ऑफ रिलीजियस लाइफ पुस्तक में दुर्खीम ने सर्वप्रथम कौन सा सिद्धांत प्रतिपादित किया?
इसे सुनेंरोकेंदुर्खीम द्वारा धर्म का सामाजिक सिद्धान्त (Social Theory of Religion) – दुर्खीम (Emile Durkheim) ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” (धार्मिक जीवन के प्रारम्भिक स्वरुप) में धर्म की उत्पत्ति ‘सामूहिक प्रतिनिधान’ अथवा सामाजिक आधार पर प्रस्तुत किया है।
इसे सुनेंरोकेंजॉर्ज पैनी (E. George peyne) को शैक्षिक समाजशास्त्र का जनक माना जाता हैं। शिक्षा में समाज के गुणों एवं उसके तत्वों को सम्मिलित करके जिस शिक्षा का निर्माण होता है उसको हम शैक्षिक समाजशास्त्र कहते हैं. शैक्षिक समाजशास्त्र में उन सभी सिद्धान्तों को अपनाया जाता है जो शिक्षा के सिद्धान्तो में अपनाया जाता हैं।
शिक्षा के सामाजिक आधार कौन कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा के उद्देश्यों के निर्धारण का आधार उस समाज का जीवन दर्शन समाज की संरचना और उसकी धार्मिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक व आर्थिक स्थिति होनी चाहिए. इस प्रकार शिक्षा का सामाजिक आधार इस बात पर बल देता है कि शिक्षा का आधार समाज हो. शिक्षा के द्वारा बालकों का सर्वतोमुखी विकास हो जिसे समाज का भी उत्तरोत्तर विकास हो सके.
शैक्षिक समाजशास्त्र पुस्तक के लेखक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक समाजशास्त्र का जन्मदाता ‘जार्ज पेनी (George Payne)को माना जाता है।
मैकाइवर एवं पेज कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंमैकाइवर एवं पेज ने सामूहिक रूप से कार्य करने की प्रणालियों को संस्थाओं के नाम से पुकारा है। इन्हीं के माध्यम से एक समाज विशेष के लोग अपनी विभिन्न आवश्यकताओं या उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। एक समाज में व्यक्तियों की सभी क्रियाएं सामान्यतः इन कार्य-प्रणालियों के अनुरूप ही होती हैं एवं इन्हीं से नियन्त्रित होती हैं।
शिक्षा के सामाजिक कार्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा सामाजिक नियन्त्रण का एक सफल साधन है, क्योंकि यह सामाजिक अव्यवस्था को दूर करके व्यवस्था लाने का कार्य करती है। सांस्कृति की रक्षा- शिक्षा का एक कार्य मानव समाज की सभ्यता-संस्कृति का संरक्षण करना भी है। समाज के अपने रीति-रिवाज, नैतिकता, परम्परा, धर्म, विश्वास. आदर्श, मान्यताएं आदि होती है।
समाजशास्त्र की रचना करने वाले शब्द कौन से हैं?
इसे सुनेंरोकें(3) 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांस के विचारक अगस्त कॉम्ट ने समाजशास्त्र का नाम सामाजिक भौतिकी रखा और 1838 में बदलकर समाजशास्त्र रखा।
समाजशास्त्र के जनक का नाम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमाजशास्त्र के जनक ऑगस्त कॉम्त का पूरा नाम था इज़िदोर मारी ऑगस्त फ़्रांस्वा हाविए कॉम्त. उनका जन्म दक्षिण पश्चिम फ़्रांस के मॉन्टपैलिए नगर में 1798 में हुआ था. समाजशास्त्र लोगों, समुदायों और समाजों के जीवन का अध्ययन है.
शैक्षिक समाजशास्त्र की प्रकृति क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशैक्षिक समाजशास्त्र में सामाजिक समस्याओं को समझते हुए शिक्षा के पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है। शैक्षिक समाजशास्त्र शिक्षण विधियों के निर्माण में भी सहायक हैं। शैक्षिक समाजशास्त्र शिक्षण सहायक सामग्री के निर्माण में भी अपनी उचित भूमिका निभाता हैं। शैक्षिक समाजशास्त्र विद्यालयों को समाज के साथ जोड़ता हैं।
शैक्षिक समाजशास्त्र के उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षक के कार्य का एवं सामाजिक प्रगति के लिए स्कूल के लिये कार्य का समाज के संदर्भ में ज्ञान प्राप्त करना। स्कूल के ऊपर प्रभाव डालने वाले सामाजिक तत्वों का अध्ययन करना। सामाजिक तत्वों का अध्ययन करते हुए उनके द्वार व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभावों का ज्ञान प्राप्त करना।
समाजशास्त्र का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमाजशास्त्र एक विशुद्ध विज्ञान है, व्यावहारिक विज्ञान नहीं-समाजशास्त्र विशुद्ध विज्ञान है क्योंकि इसका प्रमुख उद्देश्य मानव समाज से सम्बन्धित सामाजिक घटनाओं का अध्ययन, विश्लेषण एवं निरूपण कर ज्ञान का संग्रह करना है।