अधिकार क्या है और वह क्यों महत्वपूर्ण है बताइए?
इसे सुनेंरोकेंअधिकार से अभिप्राय उन सुविधाओं और अवसरों से है , जो मनुष्य के व्यक्तित्व के विकास के लिए आवश्यक है और उन्हें समाज में मान्यता प्राप्त है। वे अधिकार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकार व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक है। अधिकार सुदृढ़ तथा कल्याणकारी राज्य की स्थापना में सहायक होते हैं।
सामाजिक समानता का क्या महत्व है?
इसे सुनेंरोकेंसामाजिक समानता में स्वास्थ्य की समानता, आर्थिक समानता व अन्य सामाजिक सुरक्षा के अलावा समान अवसर व समान दायित्व भी आता है। वास्तव में यही वह अवस्था है, जब हर व्यक्ति को समान महत्व दिया जाए। दो या दो से अधिक लोगों या समूहों के बीच के संबंध की स्थिति को समानता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
सामाजिक समानता से क्या समझते हैं?
इसे सुनेंरोकेंसामाजिक सन्दर्भों में समानता का अर्थ किसी समाज की उस स्थिति से है जिसमें उस समाज के सभी लोग समान (अलग-अलग नहीं) अधिकार या प्रतिष्ठा (status) रखते हैं।
सामाजिक समानता से क्या आशय है?
इसे सुनेंरोकेंजाति प्रथा, भारतीय समाज के लिए अभिशाप है। जाति प्रथा भारतीय समाज को साम्प्रदायिक समूहों एवं श्रेणियों में बांटती है। संस्कृति एवं सभ्यता के विकास के बावज़ूद जाति प्रथा अब भी हमारे समाज में एक प्रबल भूमिका निभाती है।
स्वतंत्रता के अधिकार से क्या अभिप्राय है?
इसे सुनेंरोकेंस्वतंत्रता व्यक्ति का नैसर्गिक अधिकार है और इस प्रकार के नैसर्गिक अधिकार को किसी भी शासन द्वारा छीना नहीं जा सकता है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मूल अधिकारों में सर्वोच्च अधिकार माना जाता है क्योंकि स्वतंत्रता ही जीवन है और बगैर स्वतंत्रता के जीवन की कल्पना करना कठिन है।
सुरेश न्यायपालिका की प्रमुख विशेषताएं क्या है?
इसे सुनेंरोकेंस्विस सर्वोच्च न्यायालय, जिसे संघीय सर्वोच्च न्यायालय कहा जाता है, कैण्टनों के कानूनों और प्रशासनिक कार्यों को तो अवैध घोषित कर सकता है, किन्तु संघीय व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों या संघीय प्रशासन द्वारा किए गए कार्यों को अवैध घोषित नहीं कर सकता। न्यायपालिका को संविधान की रक्षा का कार्य नहीं सौंपा गया है।