संवैधानिक मूल्यों क्या है?

संवैधानिक मूल्यों क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसमानता : अन्य मूल्यों की तरह समानता भी एक महत्वपूर्ण सांविधानिक मूल्य है। संविधान प्रत्येक नागरिक को उसके सर्वोत्तम विकास के लिए प्रतिष्ठा एवं अवसर की समानता सुनिश्चित करता है।

5 कैसे शिक्षा न्याय और स्वतंत्रता के संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने करता है?

इसे सुनेंरोकेंप्राथमिक स्तर पर शिक्षा के अधिकार को 2002 के 86वें संवैधानिक संशोधन द्वारा अनुच्छेद 21ए में मूल अधिकार बनाया गया है। अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण प्रदान करता है, जिनमें शामिल हैं पूर्वव्यापी कानून व दोहरे दंड के विरुद्ध अधिकार तथा आत्म-दोषारोपण से स्वतंत्रता प्रदान करता है।

किस प्रकार शिक्षकों को स्कूल आना चाहिए?

शिक्षकों को नियमित और सही समय पर स्कूल आना चाहिए, पाठ्यक्रम के निर्देशों को पूरा करना चाहिए, समाप्ति निर्देशों के मुताबिक, सीखने की क्षमता बढ़ाना और उन्हें माता-पिता और शिक्षकों के बीच बैठकें करानी चाहिए। शिक्षकों की संख्या बच्चों की संख्या के आधार पर होनी चाहिए न कि ग्रेड के आधार पर।

क्या है शिक्षा के अधिकार विधेयक का प्रारूप?

जून 2005- केंद्रीय शिक्षा सलाहकार पर्षद समिति ने शिक्षा के अधिकार विधेयक का प्रारूप तैयार किया और उसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे नैक के पास भेजा, जिसकी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी हैं। नैक ने इस विधेयक को प्रधानमंत्री के ध्यानार्थ भेजा।

क्या है एक सामान्य स्कूल प्रणाली की नींव?

उपरोक्त प्रावधान एक सामान्य स्कूल प्रणाली के विकास की नींव रखने की दिशा में प्रभावी कदम है। इससे सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी और इस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को अलग-थलग करने में रोक लग सकेगी। 2. 6 से 14 साल के आयु वर्ग को चुनने का क्या उद्देश्य है? यह कानून क्यों महत्वपूर्ण है और इसका भारत के लिए क्याः अर्थ है?

नए नियमों को लागू करने के लिए सरकारी स्कूलों को नोटिस जारी करना चाहिए।?

साथ ही, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निज़ी स्कूलों को इस अधिनियम के प्रावधानों तथा प्रक्रियाओं के बारे में रूप-रेखा तैयार कर नोटिस जारी करनी चाहिए ताकि आस-पास के बच्चे स्कूल में दाखिला ले सकें। साथ ही, शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर राज्य के नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जानी चाहिए।

शिक्षकों को नियमित और सही समय पर स्कूल आना चाहिए, पाठ्यक्रम के निर्देशों को पूरा करना चाहिए, समाप्ति निर्देशों के मुताबिक, सीखने की क्षमता बढ़ाना और उन्हें माता-पिता और शिक्षकों के बीच बैठकें करानी चाहिए। शिक्षकों की संख्या बच्चों की संख्या के आधार पर होनी चाहिए न कि ग्रेड के आधार पर।

जून 2005- केंद्रीय शिक्षा सलाहकार पर्षद समिति ने शिक्षा के अधिकार विधेयक का प्रारूप तैयार किया और उसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे नैक के पास भेजा, जिसकी अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी हैं। नैक ने इस विधेयक को प्रधानमंत्री के ध्यानार्थ भेजा।

उपरोक्त प्रावधान एक सामान्य स्कूल प्रणाली के विकास की नींव रखने की दिशा में प्रभावी कदम है। इससे सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकेगी और इस प्रकार सामाजिक तथा आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को अलग-थलग करने में रोक लग सकेगी। 2. 6 से 14 साल के आयु वर्ग को चुनने का क्या उद्देश्य है? यह कानून क्यों महत्वपूर्ण है और इसका भारत के लिए क्याः अर्थ है?

साथ ही, सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त निज़ी स्कूलों को इस अधिनियम के प्रावधानों तथा प्रक्रियाओं के बारे में रूप-रेखा तैयार कर नोटिस जारी करनी चाहिए ताकि आस-पास के बच्चे स्कूल में दाखिला ले सकें। साथ ही, शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर राज्य के नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शीघ्र पूरी की जानी चाहिए।