शिक्षा और दर्शनशास्त्र में क्या संबंध है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा दर्शन दर्शन योजना अथवा विचार पक्ष है तथा शिक्षा, व्यवहार अथवा प्रयोगात्मक पक्ष है। दूसरे शब्दों में, दर्शन जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करता है तथा विचार अथवा विश्लेषण करके सिधान्तों का निर्माण करता है। शिक्षा इन सिधान्तों व्यवहार अथवा प्रयोग में लाती है।
शिक्षा वाणी प्रोग्राम क्या है?
इसे सुनेंरोकेंविद्यार्थियों को घर बैठे शिक्षा प्रदान करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग राजस्थान सरकार ने आकाशवाणी के माध्यम से शिक्षावाणी (Shiksha Vani) योजना की शुरुआत की है। राजस्थान के शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा के पुरजोर प्रयास से केंद्र सरकार द्वारा शिक्षावाणी योजना हेतु आकाशवाणी पर नि:शुल्क स्लॉट उपलब्ध कराया गया।
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शिक्षा शास्त्र और शिक्षा दर्शन में क्या अंतर है व्याख्या कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंदर्शनशास्त्र बनाम शिक्षा दर्शन और शिक्षा को दो विषयों के रूप में देखा जा सकता है जिनके बीच कुछ अंतरों की पहचान की जा सकती है। दर्शन ज्ञान, वास्तविकता और अस्तित्व की मौलिक प्रकृति के अध्ययन को संदर्भित करता है। शिक्षा से तात्पर्य समाज में व्यक्तियों को अपमानित करने की प्रक्रिया से है।
शिक्षा दर्शन का विषय क्षेत्र क्या है?
इसे सुनेंरोकेंशिक्षा दर्शन निर्देशात्मक शास्त्र है. इसका कार्य निर्देशन या दिशा प्रदान करना है. शिक्षा दर्शन की प्रकृति दार्शनिक तथा वैज्ञानिक दोनों ही है, क्योंकि शिक्षा की प्रक्रिया को कला और विज्ञान दोनों माना जाता है. शिक्षा दर्शन शैक्षिक समस्याओं का संभावित समाधान ही खोजता है.
समाज के लिए दर्शन महत्वपूर्ण क्यों है?
इसे सुनेंरोकेंसमाज में दर्शन का क्या महत्व है? – Quora. दर्शन व्यक्ति को सही दिशा निर्देश देने में सहायक होता है, इससे व्यक्ति का संपूर्ण व्यक्तित्व विकास होता है तथा व्यक्ति के विकास होने से समाज का विकास होता है।
भारतीय दर्शन का मूल आधार क्या है?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय दर्शन का आरंभ वेदों से होता है। “वेद” भारतीय धर्म, दर्शन, संस्कृति, साहित्य आदि सभी के मूल स्रोत हैं। आज भी धार्मिक और सांस्कृतिक कृत्यों के अवसर पर वेद-मंत्रों का गायन होता है। अनेक दर्शन-संप्रदाय वेदों को अपना आधार और प्रमाण मानते हैं।