हमें अपने देश पर गर्व क्यों करना चाहिए?

हमें अपने देश पर गर्व क्यों करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंदेश की हर गतिविधियों यथा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व नैतिक ²ष्टियों से इन नागरिकों का बड़ा महत्व होता है। जितनी अधिक इन आदर्श नागरिकों की संख्या रहेगी, उतना ही देश विकसित होगा। एक आदर्श नागरिक बड़ा देशभक्त होता है। देशभक्ति का तात्पर्य है मातृभूमि व देश के लिए अटूट प्रेम, गहरा लगाव और समर्पण।

मुझे तुम पर गर्व है इसकी इंग्लिश क्या होगी?

इसे सुनेंरोकेंमुझे तुम पर गर्व है। Thank you. I’m proud of you.

इस देश पर गर्व क्यों नहीं करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंExplanation: इस देह पर गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि जब तक हम जिंदा है तब तक रहता है उसके बाद यह जलने के मिट्टी में मिल जाता है ।

तुम देश के लिए क्या करना चाहते हो?

  1. आप छोटा परिवार रखकर देश की तरक्की मे योगदान दे सकते है।
  2. आप अपने आसपास सफाई रखकर देश को साफ रखने मे योगदान दे सकते है।
  3. खुले मे शौच न करके देश को बीमारी से मुक्ति दिलाने में मदद कर सकते हैं।
  4. खाना बर्बाद न करके आप देश सेवा कर सकते हैं।
  5. पानी जितनी जरूरत हो उतना ही खर्च करे।

गर्व को इंग्लिश में क्या बोलेंगे?

इसे सुनेंरोकें१. अहंकार । घमंड़ ।

देह पर गर्व क्यों नहीं करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंमीरा के अनुसार देह का गर्व नहीं करना चाहिए क्योंकि यह शरीर मृत्यु के बाद मिट्टी में मिल जाता है। यह शरीर पाँच तत्वों से निर्मित बताया जाता है-आकाश, वायु, पृथ्वी, अग्नि और जल। यह शरीर मृत्यु के पश्चात् इन्हीं तत्वों में मिल जाता है।

हमें अपनी मातृभूमि पर गर्व क्यों होना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंएक मां हमारी अपनी मां है, जबकि दूसरी मां धरती मां है। जिसकी गोद में पल कर हम बड़े होते हैं। जिस देश में हमने जन्म लिया, वह हमारी मातृभूमि हमें प्राणों से भी अधिक प्रिय है। अच्छे व आदर्श नागरिक वही होते हैं, जो देश को शक्ति-सम्पन्न, समृद्ध, सुखी, शांत व संगठित बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान देते हैं।

गौरव की स्पेलिंग क्या है?

इसे सुनेंरोकेंगौरव (gaurava) – Meaning in English गौरव एशियाई मूल का प्रदत्त नाम है। इसका सामान्य अर्थ अभिमान होता है, वह अभिमान जो अपने परिवार अथवा समाज अथवा राष्ट्र के लिए अच्छा नाम कमाता है। Also see “गौरव” on Wikipedia.

मीराबाई की भक्ति का क्या भाव है?

इसे सुनेंरोकेंमीराँबाई श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं, किंतु वे कृष्ण भक्ति के विभिन्न संप्रदायों में से किसी में भी विधिवत दीक्षित नहीं थीं। उनकी भक्ति ‘माधुर्य भाव’ की भक्ति कही जाती है। माधुर्य भाव की भक्ति के अंतर्गत भक्त और भगवान में प्रेम का संबंध होता है। मीराँबाई श्री कृष्ण के प्रेम में डूबी हुई हैं।