वायु विकार क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंवात या वायु दोष को तीनों दोषों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। हमारे शरीर में गति से जुड़ी कोई भी प्रक्रिया वात के कारण ही संभव है। चरक संहिता में वायु को ही पाचक अग्नि बढ़ाने वाला, सभी इन्द्रियों का प्रेरक और उत्साह का केंद्र माना गया है। वात का मुख्य स्थान पेट और आंत में है
वात रोग कैसे होता है?
इसे सुनेंरोकेंवात रोग (जिसे पोडाग्रा के रूप में भी जाना जाता है जब इसमें पैर का अंगूठा शामिल हो) एक चिकित्सिकीय स्थिति है आमतौर पर तीव्र प्रदाहक गठिया—लाल, संवेदनशील, गर्म, सूजे हुए जोड़ के आवर्तक हमलों के द्वारा पहचाना जाता है।
समान वायु का स्थान क्या है?
इसे सुनेंरोकेंसमानवायु: यह वायु आमाशय और पक्वाशय में रहनें वाली अग्नि, जिसे जठराग्नि कहते हैं, से मिलकर अन्न का पाचन करती है और मलमूत्र को पृथक पृथक करती है। जब यह वायु कुपित होती है तब मन्दाग्नि, अतिसार और वायु गोला प्रभृति रोग होते हैं।
पित्त बढ़ने से कौन कौन से रोग होते हैं?
पित्त बढ़ जाने के लक्षण :
- बहुत अधिक थकावट, नींद में कमी
- शरीर में तेज जलन, गर्मी लगना और ज्यादा पसीना आना
- त्वचा का रंग पहले की तुलना में गाढ़ा हो जाना
- अंगों से दुर्गंध आना
- मुंह, गला आदि का पकना
- ज्यादा गुस्सा आना
- बेहोशी और चक्कर आना
- मुंह का कड़वा और खट्टा स्वाद
वात रोग में कौन कौन से रोग आते हैं?
यदि शरीर में इन तीनों का संतुलन बिगड़ जाए तो कई रोग हो जाते हैं। यहां प्रस्तुत हैं वात से होने वाले 80 रोग।…
- नखभेद : नाखूनों का टूटना।
- विपादिका : हाथ-पैर फटना।
- पादशूल : पैरों में दर्द होना।
- पादभ्रंश : पैरों पर नियंत्रण न हो पाना।
- पादसुप्तता : पैरों का सुन्न होना।
दो शरीर एक प्राण होने का क्या अर्थ है?
इसे सुनेंरोकें2/5समान इस प्राण का काम शरीर में निर्मित होने वाले विभिन्न रसों को सही स्थान पर ले जाना है। यह पाचक रस समेत सभी आवश्यक तरल पदार्थों को सही स्थान पर ले जाने और वितरित करने का काम करते हैं। समान प्राण के द्वारा ही शरीर की ऊर्जा और सक्रियता ज्वलंत रखी जाती है
प्राण वायु से क्या तात्पर्य है?
इसे सुनेंरोकेंअनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’ ‘प्राण’ का अर्थ योग अनुसार उस वायु से है जो हमारे शरीर को जीवित रखती है। शरीरांतर्गत इस वायु को ही कुछ लोग प्राण कहने से जीवात्मा मानते हैं। इस वायु का मुख्य स्थान हृदय में है। इस वायु के आवागमन को अच्छे से समझकर जो इसे साध लेता है वह लंबे काल तक जीवित रहने का रहस्य जान लेता है।
कभी से निकले भाग में प्राण को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकें1/5अपान शरीर में अपान नामक इस प्राण का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। अपान शरीर से दूषित पदार्थों को बाहर निष्काषित करने का काम करता है। इस प्राण की क्रियाशीलता की वजह से ही शरीर से मल-मूत्र, कफ, रज, वीर्य आदि का विसर्जन सम्पन्न होता है
अपान वायु को कैसे ठीक करें?
इसे सुनेंरोकेंशरीर के किसी भी कोई भी बीमारी पर काबू पाने के लिए मनुष्य को सुबह योग व्यायाम करने चाहिए। उन्होंने बताया कि रोजाना योगासन, ताडासन, त्रिकोणासन, गोमुखासन, भुजंगासन, मकरासन, हास्यासन शवासन और अलोम-विलोम, त्रिबंद, कपालभाती, उज्जई, लंबा गहरा सांस, शीतली भ्रामरी प्राणायाम का अभ्यास करें।