प्रकृति हमें क्या शिक्षा देती है?

प्रकृति हमें क्या शिक्षा देती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति हमें शांति,संघर्ष,गरिमा,समानता,रचनात्मकता,दयालुता,उम्मीद, उत्कर्ष और समानता की प्रेना देती है,प्रकृति हमें पारदर्शिता की सीख देती है। प्रकृति हमें निष्काम भाव से सेवा करने का संदेश देती है।

प्रकृति हमें क्या देती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति एक प्राकृतिक पर्यावरण है जो हमारे आसपास है, हमारा ध्यान देती है और हर पल हमारा पालन-पोषण करती है। ये हमारे चारों तरफ एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है जो हमें नुकसान से बचाती है। हवा, पानी, जमीन, आग, आकाश आदि जैसी प्रकृति के बिना हमलोग इस काबिल नहीं है कि धरती पर रह सके।

मनुष्य को प्रकृति से क्या शिक्षाएं ग्रहण करनी चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंमनुष्य के लिए धरती उसके घर का आंगन, आसमान छत, सूर्य-चांद-तारे दीपक, सागर-नदी पानी के मटके और पेड़-पौधे आहार के साधन हैं। इतना ही नहीं, मनुष्य के लिए प्रकृति से अच्छा गुरु नहीं है। आज तक मनुष्य ने जो कुछ हासिल किया वह सब प्रकृति से सीखकर ही किया है।

प्रकृति से मनुष्य को क्या क्या लाभ होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंसुबह जल्दी प्रकृति के गोद में ठहलने से बच्चे स्वस्थ और मजबूत बनते है साथ ही ये उनहे कई सारी घातक बीमारीयों जैसे डायबिटिज, स्थायी हृदय घात, उच्च रक्त चाप, लीवर संबंधी परेशानी, पाचन संबंधी समस्या, संक्रमण, दिमागी समस्याओं आदि से भी दूर रखता है।

प्रकृति क्या कहती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति की सीख शब्दार्थ इसके रचयिता ‘सोहन लाल द्विवेदी’ हैं। कवि लिखता हैं कि प्रकृति अपने विभिन्न रूपों से हमें सीख देती है। भावार्थ – पर्वत सिर उठाकर कहता है कि तुम सब मेरे समान ऊँचे बनो। समुद्र लहराकर कहता है, मन के अंदर गहराई लाओ।

कुदरत हमें क्या सिखाती है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: कुदरत हमको रोज सिखाती, जग-हित में कुछ करना सीखें। अपने लिए सभी जीते हैं, औरों के हित मरना सीखें। शब्दार्थ-कुदरत-प्रकृति।

प्रकृति हमें क्या संदेश देती है class 8?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: प्रकृति हमें निष्काम भाव से सेवा करने का संदेश देती है। जैसे सूर्य बिना किसी लाभ के अपनी ऊर्जा समस्त प्राणी जगत को देता है और सम्पूर्ण प्राणी जगत उसकी निष्काम भाव से सेवा का अनुसरण करते है और इस क्रम को आगे ले जाते है।

मनुष्य प्रकृति से क्या क्या शिक्षा प्राप्त कर सकता है तथा प्रकृति की सुन्दरता को बचाने के लिए क्या करना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंहमे अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए, ताकि प्रकृति हरी भरी और सुंदर दिखे। हमे अपने स्कूल व घर एवं आसपास के क्षेत्र में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखता चाहिए, ताकि कोई बीमारी ना फैले। हमे कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरों की हानि हो। जो भी आप लोगों को समझाना चाहतें है, वह सबसे पहले स्वयं पर लागू करें।

प्रकृति की कौन कौन सी चीजें मन को छू लेती है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति की कौन-कौन सी चीजें मन को छू लेती हैं? ज : बरसते बादल, बहती जल धाराएँ, गिरती बूंदें, बढ़ते हुए पौधे, खिलते हुए फूल और फैलता हुआ सुगंध, नाचते हुए मोर, मेंढ़क की टर-टर की आवाज़, धरती की हरियाली, आकाश में इंद्रधनुष आदि चीजें मन को छू लेती हैं | तृण-तृण की प्रसन्नता का क्या भाव है?

प्रकृति मानव अंतर्संबंध से आप क्या समझते हैं वर्णन करें?

इसे सुनेंरोकेंयह अवधारणा है कि मानव और उसका भौतिक वातावरण निरन्तर एक दूसरे के सम्पर्क या पारस्परिक क्रिया में हैं और इसलिए एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। मानव पर्यावरण सम्बन्ध एक अत्यन्त जटिल प्रकृति का श्रृंखलाबद्ध अन्तर्सम्बन्ध है।

प्रकृति से मनुष्य को क्या क्या लाभ होते हैं चार से पाँच वाक्यों में लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति से ही हमें पीने को पानी, शुद्ध-हवा, जीव-जंतु, पेड़-पौधे, अच्छा भोजन और रहने को घर मिलता है जिससे मनुष्य एक बेहतर और अच्छा जीवन व्यतीत कर पाता है। पृथ्वी के हर एक मनुष्य को पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़े बिना इस सुंदर प्रकृति का आनंद उठाना चाहिए।

प्रकृति सबसे अच्छी शिक्षक कैसे है?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति बच्चे को उदार और प्रसन्न चित्त बनाती है, प्रकृति के साथ बच्चे सहज ही सम्बन्ध स्थापित कर लेते हैं,और इस रिश्ते मैं ना कोई जोड़ गांठ होती है,ना तनाव,और न ही बनावटी पन। इससे यह तय है कि रिश्ता सहज और सरल और उल्लास हित करने वाला होता है।

नव निश्चयवाद क्या है लिखिए?

इसे सुनेंरोकेंनव-नियतिवाद (Neo-Determinism) मिलता है। इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य को प्रकृति के नियमों का अनुसरण करना ही पड़ता है, किन्तु मनुष्य वातावरण के तत्वों के उपयोग के लिए स्वतन्त्र है। वह वातावरण के साथ समायोजना या वातावरण में रूपान्तरण भी कर सकता है।

प्रकृति हमें और बेहतर ढंग से उपहार कब दे सकेगी?

इसे सुनेंरोकेंप्रकृति हमें और बेहतर ढंग से उपहार जब देती है जब हम कठिन परिश्रम करते हैं !