पारंपरिक योग क्या है?
इसे सुनेंरोकेंयोग (Yoga in Hindi) मुख्य रूप से एक आध्यात्मिक अनुशासन है, जिसमे जीवन शैली का पूर्णसार आत्मसात किया गया है। योग एक कला के साथ-साथ एक विज्ञान भी है। यह एक विज्ञान है, क्योंकि यह शरीर और मन को नियंत्रित करने के लिए व्यावहारिक तरीके प्रदान करता है, जिससे गहन ध्यान संभव है।
योग के पिता के रूप में कौन जाना जाता है?
इसे सुनेंरोकेंयोग के जनक हैं आदियोगी शिव
अष्टांग योग क्या है इन हिंदी?
इसे सुनेंरोकेंहमारे ऋषि-मुनियों ने योग के द्वारा शरीर, मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताये हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं। योग के ये आठ अंग हैं – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि। इनमें पहले पांच साधनों का संबंध मुख्य रूप से स्थूल शरीर से है।
योग का द्वैतवाद क्या है?
इसे सुनेंरोकेंद्वैतवाद के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि के अन्तिम सत् दो हैं। इसका एकत्वाद या अद्वैतवाद के सिद्धान्त से मतभेद है जो केवल एक ही सत् की बात स्वीकारता है। द्वैतवाद में जीव, जगत्, तथा ब्रह्म को परस्पर भिन्न माना जाता है। कहीं कहीं दो से अधिक सत् वाले बहुत्ववाद के अर्थ में भी द्वैतवाद का प्रयोग मिलता है।
योग मुद्रा कितने प्रकार के होते हैं?
योग मुद्राएं
- बुनियादी मुद्रा: चिन मुद्रा
- बुनियादी मुद्रा: चिन्मय मुद्रा
- बुनियादी मुद्रा: आदि मुद्रा
- बुनियादी सुसंबद्ध मुद्रा: ब्रह्म मुद्रा
- उन्नत सुसंबद्ध मुद्रा: प्राण मुद्रा
- अभय मुद्रा
- भूमिस्पर्श मुद्रा
- धर्मचक्र मुद्रा
आसन कितने होते है?
इसे सुनेंरोकेंध्यानात्मक आसन – पद्मासन, सिद्धासन, वज्रासन, भद्रासन, मुक्तासन, स्वस्तिकासन आदि आसनों का अभ्यास ध्यान के पूर्व करना अनिवार्य होता है क्योंकि केवल इन्हीं आसनों में स्थित होकर ध्यान किया जाता है इसलिए इन्हें ध्यानात्मक आसन कहते हैं।
भारत में योग कब शुरू हुआ?
इसे सुनेंरोकेंभारतीय योग जानकारों के अनुसार योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक समय पहले हुई थी। योग की सबसे आश्चर्यजनक खोज 1920 के शुरुआत में हुई। 1920 में पुरातत्व वैज्ञानिकों ने ‘सिंधु सरस्वती सभ्यता’ को खोजा था जिसमें प्राचीन हिंदू धर्म और योग की परंपरा होने के सबूत मिलते हैं। सिंधु घाटी सभ्यता को 3300-1700 बी.सी.
योग के आदि गुरु कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंयोग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरू या आदि गुरू के रूप में माना जाता है।
अष्टांग योग कितने प्रकार के हैं?
इसे सुनेंरोकेंइसी योग को हम अष्टांग योग योग के नाम से जानते हैं। अष्टांग योग अर्थात योग के आठ अंग। दरअसल पतंजलि ने योग की समस्त विद्याओं को आठ अंगों में श्रेणीबद्ध कर दिया है। यह आठ अंग हैं- (1) यम (2)नियम (3)आसन (4) प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7) ध्यान (8)समाधि।
अष्टांग योग का विस्तार से वर्णन कीजिए हमारे जीवन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
इसे सुनेंरोकेंअष्टांग योग में जीवन के सामान्य व्यवहार से लेकर ध्यान एवं समाधि-सहित अध्यात्म की उच्चतम अवस्थाओं तक का अनुपम समावेश है। जो भी व्यक्ति अपने अस्तित्व की खोज में लगा है तथा जीवन के पूर्ण सत्य को परिचित होना चाहता है, उसे अष्टांग योग का अवश्य ही पालन करना चाहिए। यम और नियम अष्टांग योग के मूल आधार हैं।