इंद्रियों को कैसे बस में किया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंअध्यात्म कहता है कि अपनी इन्द्रियों का जितना हो सके कम से कम इस्तेमाल करे ताकि इनकी ओर से क्षीण होने वाली चेतना को बचाया जा सके। भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं कि जो व्यक्ति सभी इन्द्रियों को संयमित योग से युक्त हो कर ईश्वर परायण हो जाना है जिसकी इन्द्रियां वश में हो जाती हैं उसकी प्रज्ञा प्रतिष्ठित हो जाती है
हमारी इंद्रियां हमारी कैसे मदद करती हैं?
इसे सुनेंरोकेंकैसे काम करती हैं इंद्रियां मकसद होता है दृष्टि और संतुलन को एक दूसरे से अलग कर देना ताकि दिमागी इंपल्स की प्रक्रिया को समझा जा सके
इंद्रियों का राजा कौन है?
इसे सुनेंरोकेंमन को इन्द्रिय का राजा कहा है
इंद्रियों को वश में करने वाला क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंइन्द्रियों को वश में करने वाला (indriyo ko vash me karne wala ) = इन्द्रियजित14 अक्तू॰ 2020
इंद्रियों को जीतने वाले को क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकेंतीर्थ करने वाले को तीर्थंकर और इंद्रियों को जीतने वाले को जिन कहते हैं। जिन की वाणी जिनवाणी संसार सागर तारने के लिये नौका के समान होती हैं। जिन और जिनवाणी अपनी श्रद्धा में उतारी जाती है।
मनुष्य के शरीर में ज्ञानेंद्रियां कौन कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंज्ञानेन्द्रियाँ मनुष्य के वे अंग है जो देखने, सुनने, महसूस करने, स्वाद-ताप-रंग अदि का पता लगाते हैं। मानव शरीर में त्वचा, आँख, कान, नाक और जिव्हा आदि पाँच प्रकार की ज्ञानेन्द्रियाँ होती है।
कैसे अपनी छठी इंद्री सक्रिय करने के लिए?
इसे सुनेंरोकेंइड़ा नाड़ी शरीर के बायीं तरफ स्थित है तथा पिंगला नाड़ी दायीं तरफ अर्थात इड़ा नाड़ी में चंद्र स्वर और पिंगला नाड़ी में सूर्य स्वर स्थित रहता है। जब सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है
इंद्रियों का संयम क्या कहलाता है?
इसे सुनेंरोकेंसंयम अपने मन और इंद्रियों की प्रवृत्तियों को रोकने को संयम कहते है । मनोवृत्तियों पर, हृदय में उत्पन्न होने वाली कामनाओं पर और इंद्रियों पर अंकुश रखना संयम है । पांचों इंद्रियों व मन को विषय वासनाओं में फंसने से रोकना इंद्रिय संयम कहलाता है।
इंद्रियों को हिंदी में क्या कहते हैं?
इसे सुनेंरोकें[सं-स्त्री.] – 1. शरीर के वे पाँच अंग जिनके द्वारा प्राणियों को बाह्य जगत और उसकी वस्तुओं का ज्ञान होता है; ज्ञानेंद्रिय- आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा 2.