1 एकड़ में ड्रिप का खर्च कितना आता है?
इसे सुनेंरोकेंएक एकड़ जमीन पर ड्रिप सिस्टम सिंचाई सुविधा के लिए 57 हजार रुपए की लागत आती है। उद्यानिकी के माध्यम से खेतों में सिस्टम लगाने वाले किसानों को मात्र 17 हजार रुपए लगाना पड़ेगा।
ड्रिप पर कितनी सब्सिडी है?
इसे सुनेंरोकेंDrip Irrigation Subsidy Yojana 2022 Hindi :- ड्रिप और स्प्रिंकलर सब्सिडी योजना अंतर्गत किसानों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त टॉप-अप प्रदान करते हुए सभी श्रेणी के किसानों को ड्रीप अंतर्गत 90 प्रतिशत एवं स्प्रिंकलर अंतर्गत 75 प्रतिशत सहायता सब्सिडी देने का प्रावधान है।
बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली क्या है?
इसे सुनेंरोकें’ड्रिप इरिगेशन’, ट्रप्स सिंचाई या बूंद-बूंद सिंचाई यह एक प्रकार की सिंचाई की विधी है जो पानी और खाद की बचत के लिए इस्तेमाल की जाती है. जैसा की आप इसके नाम से जान सकते हैं की इसमें पानी को पौधों की जड़ों पर बूंद- बूंद करके टपकाचया जाता है. इसका फायदा लेने के लिए वाल्व, पाइप, नलियों तथा एमिटर का नेटवर्क लगाना पड़ता है.
टपक एवं छिड़काव सिंचाई पद्धति का प्रयोग कहां और क्यों किया जाता है?
इसे सुनेंरोकेंटपक सिंचाई का प्रयोग आमतौर से फार्म, व्यवसायिक हरित गृहों तथा आवासीय बगीचों में होता है। यह लम्बी दूरी वाली फसलों के लिए उपयुक्त होती है। सेब, अंगूर, संतरा, नीम्बू, केला, अमरूद, शहतूत, खजूर, अनार, नारियल, बेर, आम आदि जैसी फल वाली फसलों की सिंचाई टपक सिंचाई विधि द्वारा की जा सकती है।
रेन पाइप की कीमत कितनी है?
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कीमत | ₹879.00 | ₹536.00 |
विक्रेता | V K Packwell Pvt. Ltd. | V K Packwell Pvt. Ltd. |
Material | HDPE | प्लास्टिक |
एक बीघा में कितने एकड़ होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंएक एकड़ 1.62 बीघा होता है.
ड्रिप सिंचाई सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें?
इसे सुनेंरोकेंड्रिप सिंचाई के लिए कम से कम 0.5 एकड़ क्षेत्र और अधिकतम 12.5 एकड़ प्रति एकड़ और स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए कम से कम 1 एकड़ ज्यादा से ज्यादा का लाभ उठाया जा सकता है। यदि जिन किसानो ने पहले ही इस योजना का लाभ ले लिया है , उन्हें 7 साल बाद फिर से लाभ मिल सकता है। किसान को राज्य के DBT पोर्टल का पंजीकृत होना चाहिए।
उद्यान विभाग के अंतर्गत क्या क्या आता है?
इसे सुनेंरोकेंउद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, उत्तर प्रदेश द्वारा प्रदेश फल, शाकभाजी, आलू, पुष्प, मसाले, औषधी एवं सगंध पौधो, पान विेकास के साथ-साथ सहायक उद्यम के रुप मे मौनपालन, मशरुम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, पान की खेती के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित कर सतम् विकास हेतु प्रयास किये जा रहे है।
राजस्थान में बूंद बूंद सिंचाई पद्धति के लिए कौन सी योजना लाभकारी मानी गई है?
इसे सुनेंरोकेंराजस्थान कृषि सिंचाई योजना 2022 का लाभ इस योजना का सीधा लाभ राजस्थान राज्य के किसानों को मिलेगा. राजस्थान राज्य के किसानों को कम पानी में अधिक पैदावार प्राप्त होगी तथा जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी. पानी का उपयोग करने पर राज्य सरकार द्वारा 90 पैसे रुपए की दर पर बिजली पर सब्सिडी दी जा रही है.
कृषि में फर्टिगेशन के क्या लाभ है?
इसे सुनेंरोकेंफर्टिगेशन के लाभ पौधों को सही मात्रा में पानी और उर्वरक मिलता है । रासायनिक उर्वरक पानी के साथ मिलकर सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचते है जिससे पौधे उनको आसानी से अवशोषण करते है । जमीन के अन्य भाग में रसायन तत्व नहीं डाले जाते है इसलिए खेतों में खरपतवार की समस्या उत्त्पन्न नहीं होती है ।
टपकेदार सिंचाई विधि क्या है?
इसे सुनेंरोकेंड्रिप/टपक सिंचाई – “टपकेदार सिंचाई विधि सिंचाई की एक ऐसी विधि है जिसमें जल को अधिकतम सिंचाई दक्षता के लिए पौधों के जड़ क्षेत्र के निकट बाह्य साधनों द्वारा एक-एक बूंद करके धीरे – धीरे प्रयोग किया जाता है ।”
ड्रिप विधि क्या है वर्णन कीजिए?
इसे सुनेंरोकेंड्रिप सिंचाई व्यवस्था सिंचाई की एक उन्नत तकनीक है जो पानी की बचत करता है । इस विधि में पानी बूंद-बूंद करके पौधे या पेड़ की जड़ में सीधा पहुँचाया जाता है जिससे पौधे की जड़े पानी को धीरे-धीरे सोखते रहते है। इस विधि में पानी के साथ उर्वरको को भी सीधा पौध जड़ क्षेत्र में पहुँचाया जाता है जिसे फ्रटीगेसन कहते है ।
माइक्रो इरिगेशन कितना कारगर है?
इसे सुनेंरोकेंसिंचाई की इस टेक्नोलॉजी से जल संरक्षण के साथ खेती की तस्वीर बदल सकती है। देश में फिलहाल 1.23 करोड़ हेक्टेयर खेती वाली जमीन में माइक्रो इरिगेशन प्रणाली का उपयोग होने लगा है। आगामी वित्त वर्ष 2021-22 के आम बजट में सूक्ष्म सिंचाई योजना के लिए सरकार ने आवंटन बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।