किशोरों पर मीडिया इंटरनेट तथा मोबाइल का क्या प्रभाव पड़ता है?

किशोरों पर मीडिया इंटरनेट तथा मोबाइल का क्या प्रभाव पड़ता है?

इसे सुनेंरोकेंजहाँ एक तरफ मीडिया द्वारा दिखाई गयी अच्छी और ज्ञानवर्धक चीजों को बच्चा सीखता है और अपने कौशल का विकास करता है; वहीँ दूसरी तरह मीडिया द्वारा दिखाई जाने वाले चीजें जैसे- हिंसा, कामुकता, अनुचिंत तथा अपमानजनक भाषा को देखकर व्यक्ति के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

किशोरावस्था की समस्याएं क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिशोरावस्था में किशोरों के समक्ष काम सम्बन्धी अनेक समस्याएँ होती हैं। वे विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। तथा शारीरिक परिवर्तन के कारण उनकी काम भावना पराकाष्ठा की सीमा पार कर जाती है। इस समय किशोरों में आत्म प्रेम, समलिंगीय काम भावना तथा विषम लिंगीय काम भावना पायी जाती है। ।

किशोरावस्था में कौन कौन से परिवर्तन होते हैं?

किशोरावस्था में होने वाले सामान्य शारीरिक परिवर्तन

  • आपके चेहरे और शरीर पर मुंहासे हो सकते हैं।
  • पसीना अधिक आने लगता है और शरीर से पसीने की दुर्गंध भी आ सकती है।
  • आर्मपिट में बाल उगने लगते हैं।
  • जननांगों के आसपास बाल उगने लगते हैं – इसे प्यूबिक हेयर भी कहा जाता है।

किशोरों की महत्वपूर्ण आवश्यकता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंकिशोर में स्वग्राही होने की आवश्यकता होती हैं स्वग्राही होने से उन्हें अपने कामों पर मन लगता है और वे खुद से भी सीखते हैं जैसे कि उन्हें चाहे जितना भी समझाया जाए चाहे उन्हें अच्छी बातें सिखाया जाए उन्हें अच्छा नहीं लगता पर जब वह गलती करके खुद से सीखते हैं और कुछ अच्छा ग्रहण करते हैं तो उन्हें अपने माता-पिता या अभिभावक …

क्या मीडिया हमारे लिए अच्छा है?

इसे सुनेंरोकेंयह संचार का एक बहुत अच्छा माध्यम है। यह सूचनाओं का त्वरित गति से आदान—प्रदान करता है, जिसमें हर क्षेत्र की खबरें शामिल होती है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके व्यक्ति, संस्था, समूह और देश अपने आपको मजबूत बना सकते हैं।

मीडिया बच्चों की मदद कैसे कर सकता है?

इसे सुनेंरोकेंरिश्तेदारों से संपर्क बनाए रखने में मददगार : दूर रह रहे रिश्तेदारों से भी सोशल मीडिया के जरिए संपर्क साधा जा सकता है। बच्चे इसके माध्यम से दूर रह रहे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से वीडियो कॉल कर आसानी से बात कर सकते हैं। इससे रिश्ते की दूरी को कम करने में मदद मिल सकती है।

मानसिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन कौन से हैं?

इसे सुनेंरोकेंजन्म के साथ शिशु कुछ क्रियाओं का प्रदर्शन स्वतः ही करता है। जैसे-छींकना, हिचकी लेना, चूसना, हाथ पैर हिलाना, रोना एवं चौंकना आदि। इसके साथ उसका मानसिक विकास ज्ञानेन्द्रियों पर निर्भर करता है। वह अपने मानसिक विकास को वस्तु का आधार मानकर विकसित करता है इसीलिये बालकों को विभिन्न प्रकार के प्रतिरूप दिये जाते हैं।

किशोरावस्था में अस्थिरता की समस्या क्यों उत्पन्न होती है?

इसे सुनेंरोकेंकिशोरावस्था का विकास होते समय किशोर को अपने ही समान लिंग के बालक से विशेष प्रेम होता है। यह जब अधिक प्रबल होता है, तो समलिंगी कामक्रियाएँ भी होने लगती हैं। बालक की समलिंगी कामक्रियाएँ सामाजिक भावना के प्रतिकूल होती हैं, इसलिए वह आत्मग्लानि का अनुभव करता है। अत: वह समाज के सामने निर्भीक होकर नहीं आता।

किशोरावस्था को तूफान और संघर्ष का काल क्यों कहा जाता है?

इसे सुनेंरोकेंकिशोरावस्था (kishoravastha) वह समय है जिसमें किशोर अपने को वयस्क समझता है वयस्क उसे बालक समझते हैं इस अवस्था में किशोर अनेक बुराइयों में पड़ जाते हैं यह एक ऐसा समय है जिसमें बालक तथा बालिका में बहुत ज्यादा परिवर्तन होने लगता है जिसके कारण ही इन्हें तनाव, तूफान तथा संघर्ष का काल कहा जाता है तो चलिए पढ़ते हैं कि …

लड़कों में किशोरावस्था के समय कौन से लक्षण देखने को मिलते हैं?

इसे सुनेंरोकेंलडकों में प्यूबर्टी की शुरुआत का पहला लक्षण उनके चेहरे के साथ अंडरआ‌र्म्स, चेस्ट और प्यूबिक एरिया में हेयर ग्रोथ के रूप में दिखाई देता है। इसके एक साल बाद उनकी आवाज में भारीपन आने लगता है। विकास के इस दौर में वे न तो बच्चों की तरह दिखते हैं और न ही उनमें युवाओं जैसी मेच्योरिटी नजर आती है।

किशोरावस्था की क्या विशेषताएं हैं?

इसे सुनेंरोकें1) शारीरिक परिवर्तन —-शारीरिक परिवर्तन शैशवावस्था की भांति तीव्र गति से होते है. 2) मानसिक तथा बौद्धिक विकास —- इस अवस्था में मानसिक विकास भी तीव्रगति से होता है तथा चरम बिंदु पर पहुँच जाता है. 3) कल्पना की बहुलता —- दिवा स्वप्न किशोरों को प्रेरणा देते है तथा इस आधार पर वे रचनात्मक कार्य करते हैं.

किशोरावस्था के दौरान किशोरियों को स्वास्थ्य का विशेष ध्यान क्यों रखना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंइससे अच्छे बचपन में रुकावट आती है। भोजन के उपयोग में सुधार से बचपन से किशोरावस्था आने की स्थिति में शारीरिक विकास संतुलित होता है। रक्ताल्पता किशोरियों में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के कम होने की समस्याओं में से एक है।

इसे सुनेंरोकेंकिशोरों में अनियंत्रित सोशल मीडिया के उपयोग से इंटरनेट की लत लग जाती है। बच्चे जितना अधिक समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं, वे उतनी ही नई कहानियों और विचारों के संपर्क में आ जाते हैं जो वे तलाशना चाहते हैं। यह आदत अंततः एक लत में बदल जाती है।

नकारात्मक मूल्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंनकारात्मक मूल्य वे उन लोगों के विरोधी हैं जो सामाजिक सह-अस्तित्व और व्यक्तिगत जीवन के अनुकूल तरीके से, सद्भाव और पारस्परिक सम्मान में मार्गदर्शन करते हैं। उन्हें विरोधी मूल्य भी कहा जाता है और सबसे प्रमुख के बीच घृणा, गैरजिम्मेदारी और विश्वासघात हैं.

सोशल मीडिया की भाषा कितनी सोशल है?

इसे सुनेंरोकेंआज फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सअप पर अंग्रेजी में लिखे गये पोस्ट या टिप्पणियों की भीड में हिंदी में लिखी गई पोस्ट या टिप्पणियाँ प्रयोगकर्ताओं को ज्यादा आकर्षित करती हैं। सोशल मीडिया में हिंदी भाषा का वर्चस्व का प्रमुख कारण यह है कि हिंदी भाषा अभिव्यक्ति का सशक्त एवं वैज्ञानिक माध्यम है।