कथा साहित्य की मूल चेतना क्या है?
इसे सुनेंरोकेंहिन्दी कथा-साहित्य के विकास के प्रथम चरण में ही प्रसाद जी ने कविताओं के साथ कथा-साहित्य के क्षेत्र में पदार्पण किया। उनकी सांस्कृतिक अभिरूचि और वैयक्तिक भावानुभूति की स्पष्ट छाप के कारण उनके द्वारा रचित कथा-साहित्य अपनी एक अलग पहचान बनाने में पूर्णतः सक्षम हुआ।
हिन्दी कहानी का मौलिक विकास कब हुआ?
इसे सुनेंरोकेंआधुनिक हिंदी कहानी का आरंभ २० वीं सदी में हुआ। पिछले एक सदी में हिंदी कहानी ने आदर्शवाद, आदर्शवाद, यथार्थवाद, प्रगतिवाद, मनोविश्लेषणवाद, आँचलिकता, आदि के दौर से गुजरते हुए सुदीर्घ यात्रा में अनेक उपलब्धियां हासिल की है।
नई कहानी आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर कौन थे?
इसे सुनेंरोकेंमोहन राकेश (८ जनवरी १९२५ – ३ दिसम्बर, १९७२) नई कहानी आन्दोलन के सशक्त हस्ताक्षर थे। पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी और अंग्रेज़ी में एम ए किया। जीविकोपार्जन के लिये अध्यापन किया।
टॉलस्टॉय की मन की मृत्यु कब हुई?
इसे सुनेंरोकेंधन-दौलत व साहित्यिक प्रतिभा के बावजूद तालस्तोय मन की शांति के लिए तरसते रहे। अंततः 1890 में उन्होंने अपनी धन-संपत्ति त्याग दी। अपने परिवार को छोड़कर वे ईश्वर व गरीबों की सेवा करने हेतु निकल पड़े। उनके स्वास्थ्य ने अधिक दिनों तक उनका साथ नहीं दिया।
कथा साहित्य में किसका योगदान अमूल्य है?
इसे सुनेंरोकेंकथा साहित्य की अन्य अमूल्य कृतियाँ भी प्रेमचंद ने पढ़ीं। इनमें ‘ सरशार ‘ की कृतियाँ और रेनाल्ड की ‘ लन्दन – रहस्य ‘ भी थी। गोरखपुर में बुद्धिलाल नाम के पुस्तक – विक्रेता से उनकी मित्रता हुई। वे उनकी दुकान की कुंजियाँ स्कूल में बेचते थे और इसके बदले में वे कुछ उपन्यास अल्प काल के लिए पढ़ने को घर ले जा सकते थे।
हिंदी कहानी का प्रथम विकास काल कब से कब तक माना गया है?
इसे सुनेंरोकेंहिन्दी कहानी का इतिहास १९१० से १९६० के बीच हिन्दी कहानी का विकास जितनी गति के साथ हुआ उतनी गति किसी अन्य साहित्यिक विधा के विकास में नहीं देखी जाती। सन १९०० से १९१५ तक हिन्दी कहानी के विकास का पहला दौर था।
नई कहानी पत्रिका के संपादक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंआजादी के बाद हिन्दी कहानी को नया संस्कार देने वाले कहानीकारों ने कहानी को नयी कहानी के नाम से अभिहित किया। नयी कहानी का जन्म 1956 से माना जाता है। 1956 में भैरव प्रसाद गुप्त के संपादन में नयी कहानी नाम की पत्रिका का एक विशेषांक निकाला।
नई कहानी के प्रवर्तक कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंमोहन राकेश हिंदी साहित्य के उन चुनिंदा साहित्यकारों में हैं जिन्हें ‘नयी कहानी आंदोलन’ का नायक माना जाता है और साहित्य जगत में अधिकांश लोग उन्हें उस दौर का ‘महानायक’ कहते हैं। उन्होंने ‘आषाढ़ का एक दिन’ के रूप में हिंदी का पहला आधुनिक नाटक भी लिखा।