नारायणी बल क्या होता है?
इसे सुनेंरोकेंनारायण बलि ऐसा विधान है, जिसमें लापता व्यक्ति को मृत मानकर उसका उसी ढंग से क्रियाकर्म किया जाता है, जैसे किसी की मौत होने पर। इस प्रक्रिया में कुश घास से प्रतीकात्मक शव बनाते हैं और उसका वास्तविक शव की तरह ही दाह-संस्कार किया जाता है। इसी दिन से आगे की क्रियाएं शुरू होती हैं, मसलन बाल उतारना, तेरहवीं, ब्रह्मभोज वगैरह।
नारायण बलि में कितने पिंड होते हैं?
इसे सुनेंरोकेंनारायणबलि कर्म के लिए धनिष्ठा पंचक और त्रिपाद नक्षत्र को निषिद्ध माना गया है। धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरण, शततारका, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद एवं रेवती, इन साढ़े चार नक्षत्रों को धनिष्ठा पंचक कहा जाता है। कृतिका, पुनर्वसु, विशाखा, उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद ये छह नक्षत्र त्रिपाद नक्षत्र माने गए हैं।
नारायण बलि पूजा कहाँ होती है?
इसे सुनेंरोकेंनारायण बलि: नारायण बलि पूजा का आयोजन त्र्यंबकेश्वर में किया जाता है। जिसके लिए विशेष दिन एवं मुहूर्त की जानकारी त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी द्वारा प्राप्त की जाती है। पितृ दोष के निवारण के लिए प्राचीन शास्त्रों में नारायण बलि की विधि बताई गयी है। नागबली पूजा के बिना यह पूजा नहीं की जाती।
नारायण बलि पूजा कब करनी चाहिए?
इसे सुनेंरोकें’ शास्त्रों में उल्लेख है कि ज्ञात-अज्ञात अवस्था में मृत्यु का संदेश जब तक प्राप्त नहीं होता, तब तक लापता व्यक्ति को मृत नहीं माना जा सकता। इसके लिए एक माह, तीन माह अथवा वर्षपर्यत तक इंतजार किया जाता है। इस अवधि में व्यक्ति के वापस न लौटने पर नारायण बलि के माध्यम से प्रेतत्व शांति का विधान है।
नर से नारायण कैसे बने?
इसे सुनेंरोकेंभगवान ब्रह्मा के पुत्र धर्म की पत्नी रुचि के माध्यम से श्रीहरि विष्णु ने नर और नारायण नाम के दो ऋषियों के रूप में अवतार लिया। जन्म लेते ही वे बदरीवन में तपस्या करने के लिए चले गए। उसी बदरीवन में आज बद्रीकाश्रम बना है।
नारायण नागबली त्रिपिंडी और कालसर्प दोष शांति के बाद कितने दिन मे शुभ फल प्राप्त होते है?
इसे सुनेंरोकेंनारायण नागबली पूजा यह एक वैदिक अनुष्ठान है जो ३ दिन की विधी है, नारायण नागबली पूजा में कुल २ प्रकार की अलग अनुष्ठाने है। त्र्यंबकेश्वर विभिन्न पूजा और अनुष्ठान जैसे नारायण नागबली, त्रिपिंडी श्राद्ध, महामृत्युंजय जाप, कालसर्प पूजा आदी, करने के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है।
नारायण बली की पूजा कैसे की जाती है?
इसे सुनेंरोकेंनारायण बाली हिंदू अंतिम संस्कार की तरह ही है। वे गेहूं के आटे के एक कृत्रिम शरीर का उपयोग करते हैं। पंडित मंत्रों का उपयोग उन आत्माओं से निवेदन करने के लिए करते हैं जो विभिन्न इच्छाओं से जुड़ी हुई हैं। अनुष्ठान उन आत्माओं को कृत्रिम शरीर में प्रवेश कराता है और अंतिम संस्कार उन्हें मुक्त कर देता है।
भगवान नारायण की पत्नी कौन है?
विष्णु | |
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वर्ण | पीला |
जीवनसाथी | महालक्ष्मी देवी और वृन्दा |
संतान | कामदेव |
सवारी | पक्षीराज गरुड़ |