कुंडली में ग्रहण योग क्या होता है?

कुंडली में ग्रहण योग क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंज्‍योतिष शास्‍त्र के मुताबिक जब जातक की कुंडली के 12 भावों में से किसी भी भाव में सूर्य और चंद्रमा के साथ राहु या केतु में से कोई भी एक पापी ग्रह मौजूद हो तो ‘ग्रहण योग’ बनता है. ऐसे में जिस भाव में यह ग्रहण योग बनता है, उस भाव से संबंधित जिंदगी के पहलुओं पर जातक को बुरे नतीजे मिलते हैं.

सूर्य ग्रहण दोष क्या है?

इसे सुनेंरोकेंसूर्य के साथ राहु का होना या राहु का लग्न में बैठना सूर्य ग्रहण का कारण बनता है. जब राहु सूर्य को पीड़ित करता है तो कुंडली में पितृ दोष भी लगता है. ऐसे में व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक सेहत तो खराब होती ही है, साथ ही आर्थिक रूप से भी उसे काफी परेशानियां झेलनी पड़ जाती हैं.

ग्रहण दोष क्या है?

इसे सुनेंरोकेंग्रहण दोष तब बनता है जब कुंडली में सूर्य और राहु एक साथ आ जाए. ग्रहण दोष से मुक्ति पाने के लिए यह सूर्य ग्रहण खास है. नई दिल्ली: सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर, शनिवार को लगने जा रहा है. यह ग्रहण इस साल का आखिरी ग्रहण होगा.

चंद्र ग्रहण योग कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंचंद्रमा अन्य ग्रहों के साथ मिलकर कई शुभ और अशुभ योग बनाता है. ऐसे में जब चंद्र की राहु के साथ युति बने, तो ग्रहण योग बनता है, जो अत्यंत अशुभ माना जाता है. जिन जातकों पर ये हावी होता है, उनकी मानसिक स्थिति पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा के साथ राहु के संबंध से चंद्रमा दूषित हो जाता है.

विष योग कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंकब निर्मित होता है विष योग किसी भी जातक की कुंडली में विष योग तब निर्मित होता है जब कुंडली में शनि और चंद्रमा का दृश्य अथवा युति संबंध बनता है, चंद्रमा को अमृत समान माना जाता है जबकि चंद्रमा पर शनि की दृष्टि से विष योग का निर्माण कर देती है। विष योग के बारे में कहा गया है कि ऐसा जातक जीवन से निराश हो जाता है।

सूर्य ग्रहण में क्या उपाय करना चाहिए?

साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए किसी भी प्रकार का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव यहां रहने वाले लोगों पर नहीं होगा.

  1. स्नान, ध्यान और पूजा सूर्यग्रहण का वक्त समाप्त होने के बाद हर किसी को स्नान करना चाहिए.
  2. दुख, दर्द हो दूर
  3. करें ये एक उपाय
  4. तुलसी पूजन

कुंडली में दोष कैसे देखें?

इसे सुनेंरोकेंअगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह दोष बन जाता है. कुंडली में कहीं भी यह दोष बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है. गुरु-चांडाल दोष का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं.

चन्द्र ग्रहण में क्या उपाय करें?

इसे सुनेंरोकेंचंद्र ग्रहण से एक दिन पूर्व एक बर्तन में चांदी का टुकड़ा रखें और उसे गंगाजल और दूध में डुबो दें। चंद्र ग्रहण वाले दिन उसे चंद्रमा की छाया में रखें। अगले दिन उस चांदी के टुकड़े को उठाकर अपनी तिजोरी में रख दें। यह उपाय आपके घर को धन धान्य से भर देगा।

कुंडली में विष दोष कैसे बनता है?

इसे सुनेंरोकेंकिसी भी जातक की कुंडली में विष योग तब निर्मित होता है जब कुंडली में शनि और चंद्रमा का दृश्य अथवा युति संबंध बनता है, चंद्रमा को अमृत समान माना जाता है जबकि चंद्रमा पर शनि की दृष्टि से विष योग का निर्माण कर देती है। विष योग के बारे में कहा गया है कि ऐसा जातक जीवन से निराश हो जाता है।