दीर्घा का आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण क्या है?

दीर्घा का आवर्त सारणी के मुख्य लक्षण क्या है?

आधुनिक आवर्त सारणी को आवर्त सारणी का दीर्घ रूप भी कहते हैं। इसमें 18 वर्ग (ग्रुप) तथा 7 आवर्त (पिरियड) हैं।…आधुनिक आवर्त सारणी की प्रमुख विशेषताएँ

  • भारी धातुएँ या संक्रमण धातुएँ’ – वर्ग 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 .
  • अधातुएँ – वर्ग 13, 14, 15, 16 और 17.
  • अक्रिय गैसें – वर्ग 18 .

दीर्घाकार आवर्त सारणी क्या है इसकी विशेषताएँ लिखो?

इसे सुनेंरोकें(i) इस आवर्त सारणी में 7 आवर्त तथा 18 वर्ग है। (ii) इसमें धातु तथा अधातु तत्वों को अलग-अलग स्थान पर रखा गया है। (iii) अक्रिय गैस तत्वों को आवर्त सारणी के दाई ओर शून्य वर्ग में रखा गया है। (iv) A तथा B उपवर्गों को अलग-अलग कर दिया गया है।

दीर्घा का आवर्त सारणी का आधार क्या है?

इसे सुनेंरोकेंपरमाणु संख्या और इलेक्ट्रॉनिक विन्यास।

दीर्घा कार आवर्त सारणी में कितने आवर्त तथा वर्ग हैं?

इसे सुनेंरोकेंआधुनिक आवर्त सारणी में कुल 9 वर्ग हैं—I, II, III,IV,V,VI, VII, VIII एवं शून्य (0) तथा कुल 7 आवर्त हैं-1,2,3,4,5,6 एवं 7 वर्ग VIII एवं शून्य को छोड़कर शेष सभी वर्ग दो उपवर्ग (A एवं B) में विभाजित है। इस तरह आधुनिक आवर्त सारणी में कुल 16 वर्ग एवं 7 आवर्त हैं।

1 आवर्त सारणी के लघु एवं दीर्घ आवर्त से क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंआवर्त सारणी में प्रथम तीन आवर्त (प्रथम, द्वितीय व तृतीय) लघु आवर्त कहलाते है। इनमे प्रथम आवर्त में दो तत्व है, जबकि द्वितीय व तृतीय आवर्त में आठ-आठ तत्व है। आवर्त सारणी में बाद के चार आवर्त (चतुर्थ, पंचम, षष्ठम तथा सप्तम) दीर्घ आवर्त कहलाते है।

सारणी के प्रमुख अंग कौन से होते हैं?

इसे सुनेंरोकें(7) रेखांकन एवं स्थान छोड़ना(Ruling and Spacing)- रेखांकन एवं स्थान छोड़ना भी सारणी का प्रमुख अंग है। उचित स्थान छोड़ने से और उचित रेखांकन करने से सारणी अधिक आकर्षक एवं प्रभावशाली हो जाती है। आँकड़ों को प्रविष्ट करने से पहले रेखाओं से सारणी का एक ढाँचा तैयार कर लेना चाहिए, ताकि आवश्यकतानुसार सुधार किया जा सके।

आधुनिक नियम क्या है?

इसे सुनेंरोकेंआवर्त सारणी : यह रासायनिक तत्वों की एक तालिका है जो परमाणु संख्या के क्रम में इस प्रकार व्यवस्थित है कि समान परमाणु संरचना वाले तत्व ऊर्ध्वाधर स्तंभ में प्रदर्शित होते हैं। आधुनिक आवर्त नियम : आधुनिक आवर्त नियम कहता है “तत्वों के रासायनिक एवं भौतिक गुण-धर्म उनके परमाणु संख्याओं के आवर्ती फलन होते हैं”।