वनों का संरक्षण कैसे कर सकते हैं?

वनों का संरक्षण कैसे कर सकते हैं?

वन संरक्षण कैसे करें – कुछ ज़बरदस्त तरीके Best ways to Forest conservation in Hindi

  • 1.1 1. पुनवनरोपण एवं वनरोपण द्वारा
  • 1.2 2. वृक्षों की नियमन एवं नियोजित कटाई करके
  • 1.3 3. जंगल की आग को नियंत्रित करके
  • 1.4 4. वृक्षों के संरक्षण द्वारा
  • 1.5 5. लकड़ी से बनी वस्तुओं का कम मात्र में उपयोग करके
  • 1.6 6.
  • 1.7 7.
  • 1.8 8.

जंगल को कैसे बचाया जा सकता है?

इसे सुनेंरोकेंइस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अनोखा जेल वाला वैक्सीन बनाया है जो जंगलों के पेड़ पौधे पर चिपक कर महीनों तक उन्हें जलने से बचाएगा। इस वैक्सीन का निर्माण स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के खनिज वैज्ञानिक और इंजीनियर इरिक एपेल ने किया है। इस वैक्सीन का छिड़काव कर जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाया जा सकेगा।

वनों के संरक्षण से आप क्या समझते हैं?

इसे सुनेंरोकेंवन संरक्षण(Forest preservation) वन संरक्षण का अर्थ है-वनों का विवेकपूर्ण उपयोग और वन क्षेत्र मैं वृद्धि करना। प्राचीन काल में भारत में वनों का विस्तार पर्याप्त क्षेत्रफल में था। परंतु जनसंख्या के बढ़ते दबाव के फल स्वरुप आवास, कृषि, सड़कें, रेल मार्ग और उद्योगों की स्थापना के लिए वनों का निर्माता से विनाश किया गया।

वनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है वन हमारे लिए किस प्रकार उपयोगी है?

इसे सुनेंरोकेंवनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है? Answer: पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार एक परिपक्व वन वातावरण को निम्न चीजें प्रदान करते हैं जैसे- ऑक्सीजन आपूर्ति, वायु प्रदूषण रोकने में सहायक, नमी नियंत्रण, जल प्रदूषण रोकने में मददगार, मृदा की उर्वरता बढ़ने के साथ अपरदन रोकना। अतः वनों का संरक्षण आवश्यक है।

वन संरक्षण से क्या लाभ है?

इसे सुनेंरोकेंवनों से हम प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप में अनेक लाभ प्राप्त करते हैं, जैसे – प्रत्यक्ष लाभ स्वरूप हम वनों से इमारती काष्ठ, जलाऊ ईंधन, पशुओं के लिए चारा, गोंद, लाख, फल, जड़ी – बूटियाँ आदि प्राप्त करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप में वन वर्षा, बाढ़ की रोकथाम करते हैं, सुन्दर अभयारण्य एवं आकर्षक पर्यटक स्थल देते हैं ।

वन संरक्षण की क्या आवश्यकता है?

इसे सुनेंरोकेंवन बने रहें, तभी धरती पर उचित मात्रा में वर्षा होगी, नदियों की धारा प्रवाहित रहेगी, पहाड़ों और धरती का क्षरण नहीं होगा। सूखा या बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा होती रहेगी। आवश्यक प्राण-वायु और प्राण-रक्षक औषधियाँ-वनस्पतियाँ आदि निरन्तर प्राप्त होती रहेंगी।